मुंबई : हिंदी फिल्म इंटस्ट्री में रणबीर कपूर की जर्नी किसी रोलर कोस्टर की सवारी से कम नहीं है, जबकि उनके ऑफ-स्क्रीन व्यक्तित्व ने एक लवर बॉय की अपनी इमेज में बहुत कुछ जोड़ा है, उनकी फिल्मोग्राफी साबित करती है कि वह उस इमेज को तोड़ने के लिए आने वाले हर अवसर को वह अपने अंडर ले रहे हैं.
हालांकि अभिनेता अपनी पीढ़ी के सबसे बेहतरीन अभिनेताओं में से एक हैं, लेकिन रणबीर को लगातार फ्लॉप फिल्मों 'बेशरम', 'रॉय' और 'बॉम्बे वेलवेट' का सामना करना पड़ा. कई बार रणबीर की फिल्मों की पसंद और दर्शकों को जीतने की उनकी प्रतिभा पर भी सवाल उठाया गया था.
दीपिका पादुकोण के साथ 'तमाशा' पर उनकी उम्मीदें भी बॉक्स ऑफिस पर फिल्म के कमजोर प्रदर्शन के कारण बिखर गईं.
विशेषज्ञों ने सलाह देते हुए कहा कि अगर रणबीर अपने करियर को फिर से जीवित करना चाहते हैं तो उन्हें सावधानी से अपनी फिल्मों को चुनना होगा.
लेकिन, रणबीर ने ग्लिट्ज और ग्लैमर के रियल साइड को करीब से देखा है और उन्होंने कहा था कि फिल्म इंडस्ट्री में सफलता का कोई सूत्र नहीं है और यह विफलता अपरिहार्य है.
वह अपने तर्क में सही थे और कपूर होने के कारण, सिनेमा उनके खून में बहता है.
इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता है कि रणबीर अपने किरदारों के साथ न्याय करते हैं लेकिन कई बार कहानी उन्हें निराश कर देती है.
2017 में वह फिर 'जग्गा जासूस' के साथ प्रोड्यूसर बन गए. एक ऐसी फिल्म जिसकी कीमत उन्हें भारी पड़ी.