मुंबई : 1970 और 80 के दशक में मिडिल क्लास फैमिली की गुदगुदाती और हल्के से छू जाने वाली रोमांटिक कॉमेडी फिल्मों 'चितचोर', 'छोटी सी बात' और 'खट्टा मीठा' से कौन वाकिफ नहीं है? इन सभी फिल्मों को निर्देशित किया था सबके चहेते बासु दा यानी बासु चटर्जी ने.
फिल्मी दुनिया में आने से पहले बासु दा ने अपने करियर के 18 साल बतौर इलस्ट्रेटर और कार्टूनिस्ट के रूप में काम किया, बाद में फिल्ममेकिंग को चुना.
फिल्ममेकर और स्क्रीनराइटर बासु चटर्जी ने अपने निर्देशन की शुरुआत साल 1969 की फिल्म 'सारा आकाश' से की. जिसने फिल्मफेयर बेस्ट स्क्रीनप्ले अवॉर्ड अपने नाम किया.
हालांकि इससे पहले वह राज कपूर और वहीदा रहमान की फिल्म 'तीसरी कसम' में जाने माने निर्देशक बासु भट्टाचार्य को असिस्ट कर चुके थे. ये फिल्म साल 1966 में रिलीज हुई थी और इसने बेस्ट फीचर फिल्म का अवॉर्ड भी जीता था.
बासु दा की बेहद सराहनीय फिल्मों की सूची में 'सारा आकाश' (1969), 'पिया का घर' (1972), 'उस पार' (1974), 'रजनीगंधा' (1974), 'छोटी सी बात' (1975), 'चितचोर' (1976), 'स्वामी' (1977), 'खट्टा मीठा', 'प्रियतमा', 'चक्रव्यू' (1978), 'जीना यहां' (1979), 'बातों बातों में' (1979), 'अपने पराए' (1980), 'शौकीन' और 'एक रुका हुआ फैसला' आदि शामिल हैं.
बासु दा ने अपनी साधारण सी फिल्मों में कई बड़े सितारों को निर्देशित किया, लेकिन ऐसे किरदारों में जिसमें वह सितारे पहले कभी दिखाई नहीं दिए. जैसे उन्होंने मिथुन को रति अग्निहोत्री के साथ 'शौकीन' में और मुनमुन सेन के साथ 'शीशा' में, विनोद मेहरा को मौसमी चटर्जी के साथ 'उस पार में', जीतेन्द्र को नीतू सिंह के साथ 'प्रियतमा' में, देव आनंद को टीना मुनीम के साथ 'मनपसंद' में, राजेश खन्ना को नीतू सिंह के साथ 'चक्रव्यूह' में कास्ट किया.