दिल्ली

delhi

यादों में राहत इंदौरी, कुछ ऐसा था मुशायरे से शायरी के सिंकदर बनने का सफर

By

Published : Aug 11, 2020, 8:55 PM IST

Updated : Aug 11, 2020, 9:31 PM IST

कोरोना से पीड़ित मशहूर शायर राहत इंदौरी का निधन हो गया है. वह कोरोना संक्रमित होने के चलते इंदौर के अरविंदो अस्पताल में भर्ती हुए थे. लेकिन आज अचानक उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया है.

famous poetir rahat indaori dies
यादों में राहत इंदौरी, कुछ ऐसा था मुशायरे से शायरी के सिंकदर बनने का सफर

इंदौर : शायरी की दुनिया में अपना एक अलग मुकाम बनाने वाले राहत इंदौरी हम सब को छोड़कर चले गए. वह कोरोना से संक्रमित होने के चलते अरविदों अस्पताल में भर्ती हुए थे.

लेकिन किसी ने सोचा भी नहीं था कि ये वायरस उन्हें दुनिया से रुखस्त कर देगा. जैसे ही राहत साहब के मौत की खबर सामने आईं. एक पल के लिए लोगों को इस बात पर यकीन नहीं हुआ.

''जनाज़े पर मेरे लिख देना यारो'' ''मुहब्बत करने वाला जा रहा है''

राहत इंदौरी का जन्म 1 जनवरी 1950 को इंदौर में रफ्तुल्लाह कुरैशी के घर हुआ था. वे उनकी चौथी संतान थे. राहत साहब ने इंदौर के नूतन स्कूल से अपनी शुरुआती शिक्षा ली. भोपाल के बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय और इस्लामिया करीमिया कॉलेज इंदौर से उन्होंने अपनी कॉलेज जी पढ़ाई की पूरी की थी. तो मध्य प्रदेश के भोजमुक्त विश्वविद्यालय से उन्होंन पीएचडी की डिग्री पूरी की थी.

यादों में राहत इंदौरी, कुछ ऐसा था मुशायरे से शायरी के सिंकदर बनने का सफर

अब ना मैं हूं, ना बाकी है जमाने मेरें

फिर भी मशहूर हैं, शहरों में फसाने मेरे

जिंदगी है तो नए जख्म भी लग जाएंगे

अब भी बाकी है कई दोस्त पुराने मेरे

उर्दू में महारथ हासिल रखने वाले राहत इंदौरी ने कॉलेज के दिनों में ही शायरी और मुशायरे करने शुरु कर दिए. देखते ही देखते उनकी प्रसद्धि एक शायर के तौर पर पूरी दुनिया में छा गई. अपने बेबाक शायरी से राहत साहब ने शायरी की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बना ली.

''किस ने दस्तक दी ये दिल पर कौन है

आप तो अंदर हैं बहार कौन है''

राहत इंदौरी हर मुद्दे पर अपनी राय बिल्कुल खुले दिल से रखते थे. राहत इंदौरी ने उर्दू और हिंदी को बेहद खूबसूरती से शायरी में पिरोया था. राहत साहब जब मुशायरें में माइक और शायरी या गजले बोलते थे तो हर कोई सुनता ही रह जाता था. उनका बेबाक अंदाज हर किसी को उनका कायल बना देता था. राहत इंदौरी फन के समंदर थे जिनके पास कितने मोती थे किसी को अंदाजा तक नहीं था.

''ये ज़िन्दगी सवाल थी जवाब मांगने लगे

फ़रिश्ते आके खवाब में हिसाब मांगने लगे

इधर किया करम किसी पे उधर जाता दिया

नमाज़ पढ़ के आये और शराब मांगने लगे''

जिस कोरोना के खिलाफ राहत साहब जंग हार गए. उसके लिए उन्होंने खुद लड़ाई छेड़ी थी. जब इंदौर में कोरोना के मरीज बढ़े तो उन्होंने अपने घर को अस्पताल में तब्दील करने की बात कही थी. लेकिन समय का खेल देखिए आज वे खुद उसी कोरोना की वजह से जिंदगी की जंग हार गए.

''तेरी हर बात मोहब्बत में गवारा करके

दिल के बाज़ार में बैठे हैँ ख़सारा करके''

राहत साहब भले ही हम सबकों को छोड़कर चले गए लेकिन वे और उनकी शायरी हमारी यादों में हमेशा जिंदा रहेगी. क्योंकि राहत साहब दुनिया छोड़ सकते है. लेकिन जब तब शायरी की दुनिया रहेगी राहत साहब भी एक चमकते सितारे की तरह उसमें चमकते रहेंगे.

Last Updated : Aug 11, 2020, 9:31 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details