मुंबई : 3 अप्रैल को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर एक वेब सीरीज रिलीज हुई 'पंचायत'. जो दर्शकों को बेहद पसंद आ रही है. इस सीरीज में मुख्य किरदारों में हैं एक्टर जीतेंद्र कुमार, नीना गुप्ता, रघुबीर प्रसाद यादव, फैजल मलिक और चंदन रॉय. जीतेंद्र यहां गांव फुलेरा के पंचायत सचिव अभिषेक त्रिपाठी के किरदार में हैं तो चंदन रॉय निभा रहे हैं ग्राम सहायक विकास का किरदार. इस किरदार की अपनी एक खासियत है. चंदन की एक्टिंग को खासा पसंद किया जा रहा है. इसी कड़ी में ईटीवी भारत ने चंदन से खास बातचीत की. पेश है उस बातचीत के कुछ अंश...
- 'पंचायत' से कैसे कनेक्ट हुए?
- रोज मैं ऑडिशन के लिए घर से निकलता था. कास्टिंग एजेन्सी पर जाकर पूछता था कि मेरे लिए कोई कैरेक्टर है क्या? एक दिन इसी तरह मैं आराम नगर में एक कास्टिंग एजेन्सी पर जाकर रोज की तरह खड़ा हो गया भीड़ में गेट के बाहर. तो वहां मेरा एक दोस्त है उनमें, उसने वहां ऑफिस में जाकर पंचायत की कास्टिंग टीम से मिलवाया. तब वहां इलेक्ट्रिशियन के रोल के लिए मैंने ऑडिशन दिया और घर आ गया. एक दिन रघुबीर सर (पंचायत में प्रधान की भूमिका में हैं) के घर बैठ कर बोला कि मैंने भी ऑडिशन दिया पंचायत के लिए. तो सर ने उनसे कहा कि मेरा एक स्टूडेंट हैं चंदन उसने ऑडिशन दिया है तो देखना कैसा है. उन्होंने देखा और सोचा कि इलेक्ट्रीशियन के बजाय कुछ और क्यों न ट्राई किया जाए इस पर. अगले दिन विकास शुक्ला के किरदार के लिए स्क्रिप्ट आया और मैं तैयार होकर गया. ऑडिशन के अगले ही दिन मुझे मीटिंग के लिए बुला लिया गया. दिलचस्प बात यह है कि फिर इलेक्ट्रीशियन का किरदार सीरीज के डायरेक्टर दीपक मिश्रा सर ने खुद प्ले किया.
- 'पंचायत' में काम करने का अनुभव कैसा रहा?
- मेरा जो एटिट्यूड है वो हमेशा सीखने वाला होता है. मैं कहीं भी जाता हूं तो सोचता हूं कि मुझे कुछ नहीं आता बस सीखना है. और जब मैं पंचायत के सेट पर गया तो वहां सब लोग काफी अनुभवी थे. दिन भर सबको मैं ऑब्जर्व करता था, देखता था, सीखता था. अभिनय से इतर वह कैसे बिहेव करते हैं. कैसे बातचीत करते हैं? यह सब एक स्कूल जैसा था. जितने मेरे को-एक्टर थे. वे सब मेरे लिए बिल्कुल टीचर जैसे थे.
- आप असल में विकास जैसे हैं या अलग?
- चंदन और विकास में जमीन- आसमान का अंतर है. वह मेरे लिए एक किरदार है जिसको मैंने डेवलप किया. लेकिन मैं उसके जैसा बिल्कुल नहीं हूं.
- विकास के किरदार में ढलने के लिए क्या कुछ तैयारी की?
- मेरे लिए स्क्रिप्ट किसी पवित्र ग्रंथ से कम नहीं थी. क्योंकि मुझे लगता था कि यह मेरा हथियार है. मैं इसके माध्यम से ही विकास तक पहुंच पाऊंगा. और जितनी बार मैं अपने कैरेक्टर को पढ़ूंगा. किसी भी किरदार तक पहुंचने के लिए जो डोर है वो स्क्रिप्ट है मेरे लिए. जब हमारा शूट लेट हो रहा था तो मुझे जब भी वक्त मिलता मैं स्क्रिप्ट को देता. क्योंकि जितना आप स्क्रिप्ट को वक्त दोगे उतना आपके कैरेक्टर की बुनियाद मजबूत होगी. मैंने भी विकास की बुनियाद को मजबूत करने के लिए खूब अच्छे से स्क्रिप्ट को पढ़ा. और एक वक्त ऐसा आया कि मैंने अपने राइटर सर को बोला कि आपने पहले मुझे ऑब्जर्व किया है तब जाकर विकास का किरदार लिखा है.