हैदराबाद : हिंदी सिनेमा के इतिहास के पन्नों में छप चुकी शाहरुख खान और काजोल स्टारर मेगाब्लॉकबस्टर फिल्म 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' को आज 26 साल हो गए हैं. फिल्म आज ही के दिन 20 अक्टूबर 1995 को देशभर में रिलीज हुई थी. फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर मोटी कमाई के साथ-साथ कई रिकॉर्ड अपने अपने नाम किये थे. फिल्म के सॉन्ग और डायलॉग आज भी सिनेमा प्रेमियों की जुबां पर रटे हुए हैं. इस मौके पर फिल्म की लीड एक्ट्रेस काजोल ने फिल्म से जुड़ा एक वीडियो शेयर किया है.
एक्ट्रेस काजोल ने फिल्म 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' का सुपरहिट ट्रेन चेसिंग सीन अपने इंस्टाग्राम पर शेयर किया है. इस वीडियो को शेयर कर काजोल ने लिखा है, 'सिमरन ने 26 साल पहले ट्रेन पकड़ी थी और हम आज भी इतने प्यार मिलने के लिए अभिवादन करते हैं.' बता दें, फिल्म में शाहरुख खान ने राज तो काजोल ने सिमरन का किरदार निभाया था.
'डीडीएलजे' की कहानी ?
फिल्म में काजोल ने सिमरन के किरदार में जान फूंक दी थी तो वहीं शाहरुख ने फिल्म राज बनकर फैंस के दिलों पर राज किया था. फिल्म की कहानी की बात करें तो काजोल ने एक संस्कारी पिता (अमरीश पुरी) की समझदार बेटी का किरदार निभाया था, जो यूरोप में अपनी सहेलियों संग घूमने जाने के लिए पिता से इजाजत मांगती हैं.
दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे
वहीं, शाहरुख खान भी यूरोप की ट्रिप पर जा रहे होते हैं. राज और सिमरन की मुलाकात यूरोप जाते वक्त बतौर अजनबी होती है. यूरोप में राज और सिमरन धीरे-धीरे एक-दूजे के इतने करीब हो जाते हैं कि अपनी दिल की बात किए बिना ही यूरोप से अपने घर वापस लौट आते हैं.
इधर, दोनों को ही एक-दूजे की याद सता रही होती है. इधर, राज के बिना सिमरन और सिमरन के बिना राज का रहना मुश्किल हो जाता है. जब यह बात सिमरन के पिता को पता चलती है तो वह अपने दोस्त के बेटे संग सिमरन की शादी पक्की कर देता है. इधर, सिमरन की मां (फरीदा जलाल) उसे राज के साथ भाग जाने को कहती है.
राज एक प्लान के तहत गर्लफ्रेंड सिमरन के होने वाले मंगेतर का दोस्त बनकर घर में एंट्री करता है और सबका दिल जीतने की कोशिश में जुट जाता है. अंत में सिमरन के पिता को पता चल जाता है कि राज वही लड़का है जो सिमरन को यूरोप में मिला था. सिमरन का पिता राज को घर से जाने के लिए कहता है.
इधर, सिमरन के मंगेतर में बदले की आग भड़क रही होती है और वह घर छोड़कर जा रहे राज को रेलवे स्टेशन पर अपने दोस्तों संग घेर लेता है और राज की जमकर धुलाई करता है. बेटे को बचाने के लिए राज का पिता (अनुपम खेर) भी बुरी तरह मार खाता है. वहीं, सिमरन के घरवाले भी रेलवे स्टेशन पहुंचकर मामले को निपटाते हैं.
इतने में ट्रेन चल पड़ती है और राज पिता संग ट्रेन में चल पड़ता है. राज ट्रेन के गेट पर खड़ा हो सिमरन को ही निहारता रहता है और धर सिमरन अपने पिता के चंगुल से छूटने के लिए रोती-बिलखती बस यही कहती है, 'मुझे राज के पास जाने तो बाबूबी...मुझे मेरे राज के पास जाने दो...सिमरन का पिता राज की आंखों में बेटी के लिए प्यार देख उसका हाथ छोड़ कहता है...जा सिमरन जा..जी ले अपनी जिंदगी. इस तरह फिल्म की हैप्पी एंडिंग होती है.
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