मुंबई : हिंदी सिनेमा के ऑल टाइम फेवरेट एक्टर आमिर खान को मिस्टर परफेक्शनिस्ट के नाम से भी जाना जाता है. 14 मार्च 1965 को मुबंई में जन्म लेने वाले आमिर आज 55 साल के हो गए हैं.
फिल्मी बैकग्राउंड से होने की वजह से आमिर खान भी नेचुरली फिल्मों में दिलचस्पी लेने लगे. यही वजह है कि आमिर ने अपनी 55 साल की उम्र में 36 साल बॉलीवुड के नाम कर दिए हैं.
पिछले तीन दशक से आमिर देशवासियों को एंटरटेन कर रहे हैं. पहली फिल्म 'कयामत से कयामत तक' से लेकर उन्होंने 'लगान', 'गुलाम', 'सरफरोश' 'गजनी', 'पीके', 'राजा हिंदुस्तानी', 'तलाश' जैसी बेहतरीन फिल्में दी हैं.
भारत सरकार ने आमिर के फिल्म इंडस्ट्री को दिए इस योगदान के लिए उन्हें साल 2003 में पद्म श्री और 2010 में पद्मा भूषण से सम्मानित किया था.
आमिर खान ने कई फिल्मों में हीरो का रोल निभाया है, स्टंट सीन किए हैं, दुश्मनों को धूल चटाई है. खासतौर पर गजनी जैसी फिल्म में उनका एक्शन देखकर अच्छा-खासा बॉडी बिल्डर भी उनसे टकराने में सहम सकता है. हालांकि स्क्रीन पर इतने टफ नजर आने वाले आमिर ने रील लाइफ के उलट रियल लाइफ में हमेशा ही अपनी संजीदगी का परिचय दिया है.
आमिर ने फिल्म 'तारे जमीं पर', 'पीके', 'दंगल' जैसी फिल्मों में बेहद गंभीर विषयों को सहज तरीके से उठाया है और लोगों को नई सोच अपनाने के लिए प्रेरित किया है, फिर चाहें वह बच्चों की पढ़ाई की बात हो, धर्म और आस्था का सवाल हो या फिर बेटियों को बेटे की तरह मजबूत बनाकर पेश करने का जुनून.
आमिर हमेशा महिलाओं को पूरा सम्मान देते नजर आते हैं. महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर भी वह अपना समर्थन जताने में आगे रहते हैं. 'दंगल' जैसी फिल्म में आमिर ने गीता फोगाट और बबिता फोगाट के रियल लाइफ स्ट्रगल को फिल्मी कहानी की शक्ल देकर जब पेश किया तो वह कहानी हर महिला को अपनी सी लगी.
फिल्म में एक परंपरागत समाज दिखाया गया, जो महिलाओं पर कई तरह की बंदिशें लगाता है और उन्हें जोखिम उठाने और जिंदगी में आगे बढ़ने से भी रोकता है. आमिर खान ने फिल्म में महावीर फोगाट का किरदार निभाकर लोगों को संदेश दिया कि वे महिलाओं की काबिलियत पर किसी तरह का संदेह नहीं करें, उन्हें पुरुषों की तरह मजबूत बनाने के लिए माहौल दें, उनकी हौसलाअफजाही करें और उन्हें सही राह दिखाएं.
आमिर खान अपने जो भी प्रोजेक्ट्स करते हैं, उसमें पूरी तरह से डूब जाते हैं. अपनी फिल्मों में किरदार की पृष्ठभूमि से लेकर कहानी समझने की छोटी से छोटी चीज को आमिर खान पूरा समय देते हैं. अगर आपने 'रंगीला' फिल्म देखी हो तो आपको याद होगा आमिर खान का निभाया मुंबइया टपोरी वाला किरदार. अपने इस किरदार के साथ न्याय करने के लिए आमिर इस फिल्म को करने के दौरान रियल लाइफ में टपोरी की तरह ही रहते थे. वह उनके जैसे हाव-भाव अपनी बॉडी लैंग्वेज में उतारने की कोशिश करते थे। यहां तक कि अपने किरदार को रियलिस्ट बनाने के लिए वे टपोरियों से कपड़ों की अदला-बदली कर लेते थे।
फिल्म 'दंगल' में आमिर ने एक सिंगल फ्रेम के लिए अपना 30 किलो वजन घटाया था. धर्म पर बनी व्यंग्य फिल्म 'पीके' में आमिर एलियन दिखने के लिए प्रोस्थेटिक प्रोसेस से गुजरे थे. तो वहीं 'मंगल पांडे' में उन्होंने अपने किरदार को प्रभावी तरीके से महसूस करने के लिए महीनों पहले से मूछें बढ़ा ली थीं.
आमिर ने कई बार कहा है कि वह बॉक्स ऑफिस पर हासिल होने वाले नंबरों में विश्वास नहीं रखते. जब उनकी फिल्में पसंद की जाती हैं, उनकी तारीफ होती है, तब आमिर को चैन की नींद आती है. दिलचस्प बात ये है कि आमिर की फिल्मों ने कामयाबी के नई झंडे गाड़े हैं. उनकी फिल्म गजनी ने 100 करोड़ी क्लब की शुरुआत की थी. उसके बाद 200, 300, 400, 500 और यहां तक कि दंगल के लिए 2000 करोड़ की कमाई की थी.
आमिर खान दो साल में बमुश्किल एक फिल्म करते हैं, इसी वजह से वह अपनी हर फिल्म को 100 फीसदी से भी ज्यादा देते हैं, उनका यही डेडिकेशन उनकी फिल्मों को कामयाब बनाता है और उन्हें बनाता है बॉलीवुड का मिस्टर परफेक्शनिस्ट.