हैदराबाद :बॉलीवुड के मशहूर गायक बाबुल सुप्रियो (Babul Supriyo) ने इस साल 31 जुलाई को भारतीय जनता पार्टी (BJP) को उस वक्त बड़ा झटका दिया था, जब उन्होंने राजनीति से संन्यास का ऐलान कर एकाएक पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. अब बाबुल सुप्रियो ने शनिवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (TMC) का दामन थाम लिया है. बाबुल पश्चिम बंगाल में आसनसोल से बीजेपी सांसद थे. हाल ही में हुए कैबिनेट विस्तार में उनसे कैबिनेट मिनिस्टर का दर्जा छीन लिया गया था, जो कहीं ना कहीं बाबुल के राजनीति से संन्यास का कारण माना जा रहा था.
विरासत से मिला संगीत
बाबुल के दादाजी बनीकांता एनसी बारल एक बंगाली वोकलिस्ट और संगीतकार थे. यही कारण है कि बाबुल को संगीत सीखने में ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी. बाबुल ने संगीत सीखने के साथ-साथ कॉमर्स से स्तानक की डिग्री हासिल की है. वहीं, बाबुल ने संगीत की दुनिया में जाने के बाद अपना नाम सुप्रिया बारल से बाबुल सुप्रियो कर लिया था. थोड़े समय स्टेंडर्ट चार्टेड बैंक में नौकरी करने के बाद बाबुल सुप्रियो ने गायकी के क्षेत्र में जाने का मन बनाया. साल 1992 में बाबुल ने मुंबई का रुख किया. कल्याणजी ने बाबुल को पहला ब्रेक दिया. कल्याणजी विदेशों में लाइव कॉन्सर्ट के लिए बाबुल को साथ लेकर जाया करते थे.
इस गाने से मिली पहचान
साल 2000 में आई ऋतिक रोशन (Hrithik Roshan) की मेगा ब्लॉकबस्टर फिल्म 'कहो ना प्यार है' का एक गाना 'दिल ने दिल को पुकारा' गाकर बाबुल सुप्रियो रातोंरात सिंगिंग के सरताज बन गए थे. बाबुल ने बॉलीवुड में एक से एक हिट सॉन्ग गाए हैं, जिसमें गाना 'परी-परी है एक परी' (हंगामा), 'हम तुम' (हम तुम) और आमिर खान स्टारर फिल्म 'फना' का गाना 'चंदा चमके' शामिल है. बाबुल ने पहला गाना फिल्म प्रेम रोग (1994) का 'जिंदगी चार दिन की' गाया था.