मुंबई:आयुष्मान खुराना की आगामी फिल्म 'बाला' से एक के बाद एक मुसीबतें जुड़ती जा रही हैं. दो फिल्म निर्माताओं ने फिल्म पर साहित्यिक चोरी का आरोप लगाते हुए अदालत का सहारा लिया है, जिसमें कहा गया है कि इस फिल्म की कहानी को दिखा कर गंजे आदमी की अवधारणा को कमजोर किया जा रहा है.
कमल कांत चंद्रा, जो अपनी पहली फिल्म 'मार्कशीट' पर काम कर रहे हैं. उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. वहीं, फिल्म निर्माता नमन गोयल जयपुर जिला अदालत में गए. दरअसल, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट को 8 नवंबर तक एक प्रस्ताव पर पहुंचने का निर्देश दिया है.
आपको बता दें कि, जयपुर की एक जिला अदालत ने बुधवार को साहित्यिक चोरी मामले में बाला के निर्माताओं को अदालत में पेश होने के लिए बुलाया है. चंद्रा, जिन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट में एक मामला दायर किया और बाद में सुप्रीम कोर्ट चले गए. उन्होंने कहा कि वह 8 नवंबर को रिलीज़ होने से पहले 'बाला' पर स्टे पाने की उम्मीद करते हैं.
पढ़ें- 'बाला' आपको खुद से प्यार करना सिखाएगी : भूमि पेडनेकर
यह दावा करते हुए कि 'बाला' को उनकी पटकथा से हटा दिया गया है. चंद्रा ने आगे कहा कि वह बरेली की बर्फी की शूटिंग के दौरान आयुष्मान से मिले थे और सितंबर 2017 में उन्हें व्हाट्सएप के माध्यम से कॉन्सेप्ट भेजा.
चंद्रा ने पीटीआई से कहा, "मुझे एक घंटे के भीतर आयुष्मान का संदेश मिला. उन्होंने कहा कि उन्हें यह कॉन्सेप्ट पसंद आया और नरेशन चाहते हैं. एक संघर्षरत सहायक निर्देशक के रूप में, मुझे स्टार से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने पर बहुत खुशी हुई.
मैंने उनसे पटकथा के साथ मिलने का फैसला किया. वहीं, उनके प्रबंधक से संदेश मिला कि वह व्यस्त हैं, इसलिए मैंने उनके पास स्क्रिप्ट छोड़ दी, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. उन्होंने आरोप लगाया कि आयुष्मान ने उनके संदेशों का जवाब देना बंद कर दिया और उनके प्रबंधक ने उन्हें बताया कि वह गंजेपन पर फिल्म करने में दिलचस्पी नहीं रखते हैं.