दिल्ली

delhi

ETV Bharat / sitara

'आत्मग्लानि' महिलाओं को सपने पूरे करने से रोकती है : अश्विनी अय्यर तिवारी

फिल्मनिर्माता अश्विनी अय्यर तिवारी ने कहा कि पितृसत्ता की जड़ें हमारे समाज में गहरी हैं और औरतों का लगातार खुद को कोसना उन्हें अपने सपनों को साकार करने के लिए कोशिश करने से रोकता है.

ETVbharat
आत्मग्लानि महिलाओं को सपने पूरे करने से रोकती है : अश्वविनी अय्यर तिवारी

By

Published : Jan 20, 2020, 9:47 AM IST

मुंबईः फिल्मनिर्माता अश्विनी अय्यर तिवारी को मशहूर कहावत, 'हर आदमी की कामयाबी के पीछे किसी न किसी औरत का हाथ होता है', से दिक्कत है. उनका मानना है कि पितृसत्तात्मक समाज में, यह लाइनें महिलाओं को सिर्फ घर के कामकाजों पर ध्यान देने का विचार देता है.

फिल्मनिर्माता जिन्होंने कई क्रिटकली अकलेम्ड फिल्मों-- 'निल बटे सन्नाटा' और 'बरेली की बर्फी' का निर्माण किया है, उन्होंने कहा कि पितृसत्ता की जड़ें हमारे समाज में बहुत गहरी हैं और महिलाओं का लगातार खुद को कोसना उनको अपने सपने पूरे करने के लिए कोशिश करने से रोकता है.

अश्विनी ने पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में बताया, 'ऐसी कई कहानियां हैं. कुछ महिलाओं के पास घर में मदद भी है, साथ देने वाला पति, मां-बाप या रिश्तेदार भी हैं लेकिन बहुतों के पास तो कोई मदद भी नहीं है. यहां बात आती है कि ग्लानि की, आप को हमेशा लगता है कि आपको परिवार के लिए मौजूद होना चाहिए.'

पढ़ें- वरूण ने श्रद्धा को दिया खास गिफ्ट, काफी वक्त से खरीदना चाहती थीं एक्ट्रेस

निर्देशिका ने आगे बताया, 'यह बहुत पितृसत्तातमक और सामाजिक है जब कहा जाता है कि हर आदमी की कामयाबी के पीछे औरत का हाथ होता है, जैसे कि वह घर का पूरा ख्याल रखती है और सारे काम करती है, वहीं एक आदमी बाहर निकलता है और काम करता है.'

फिल्मनिर्माता अपनी अगली फिल्म पंगा में एक कहानी पेश करने की कोशिश कर रही हैं, जिसमें कंगना रनौत बतौर जया निगम (राष्ट्रीय स्तर की कबड्डी चैंपियन) खेल में वापसी का इरादा करती है.

अश्विनी ने कहा कि हर महिला में कुछ न कुछ हासिल करने का सपना छुपा होता है लेकिन ग्लानि उसके लिए कोशिश करने से रोकती है.

निर्देशिका ने कहा, 'यह ग्लानि है. अगर वे चाहें, अपने सपनों का पीछा कर सकती हैं. मैं अपनी फिल्म के लिए पिछले कई दिनों से घूम रही हूं, लेकिन मैं अपराधी(गिल्टी) महसूस कर रही हूं (अपने बच्चों के साथ न होने के लिए). यह खून में हैं, यह हमारे सिस्टम में इतना घुल गया है कि ऐसा लगता है कि आप कुछ गलत कर रहे हैं.'इनपुट्स- पीटीआई

ABOUT THE AUTHOR

...view details