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बंगाली एक्ट्रेस अपर्णा सेन ने की पीएम से गुजारिश, मॉब लिंचिंग फ्री हो देश

पीएम मोदी को चिट्ठी लिखने में शामिल बंगाली एक्ट्रेस और फिल्ममेकर अपर्णा सेन ने कहा है वह देश को लेकर चिंतित हैं. चिट्ठी में मॉब लिंचिंग के अपराध के खिलाफ कड़ा कानून बनाने की मांग की गई है.

Aparna Sen

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Published : Jul 24, 2019, 10:22 PM IST

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मोदी को कई क्षेत्रों की चर्चित हस्तियों ने मिलकर एक चिट्ठी सौंपी है. जिसमें उन्होंने मॉब लिंचिंग और जय श्रीराम के नारे के दुरुपयोग को लेकर अपनी बातें लिखी हैं. चिट्ठी लिखने में शामिल ऐक्टर और फिल्म मेकर अपर्णा सेन ने कहा कि वह देश को लेकर चिंतित हैं.

उनका कहना है कि वे किसी विशेष सरकार या शासन पर उंगली नहीं उठा रहे हैं. सेन ने कहा कि यह पत्र अकेले मोदी सरकार की ओर नहीं है, यह देश में धार्मिक असहिष्णुता के सामान्य माहौल के खिलाफ है.

ईटीवी भारत से खास बातचीत में एक्ट्रेस ने कहा कि घृणा अपराध हमेशा से होते रहे हैं लेकिन सजा की दर में गिरावट ने उन्हें और दूसरों को चिंतित किया है.

अपर्णा सेन ने कहा, "आप उम्मीद करेंगे कि इस तरह की घटनाओं में लगातार गिरावट आएगी, लेकिन वे बढ़ रही हैं और दोषियों में भी गिरावट आ रही है."

फिल्म निर्माता ने कहा कि उन्हें 'जय श्री राम' के नारे को लेकर कोई समस्या नहीं थी. उन्होंने कहा, "यदि आप जय श्री राम का जाप करते हैं और किसी को गले लगाते हैं तो मैं उसकी सराहना करूंगी, लेकिन अगर आप यह कहते हैं और किसी को मारते हैं, तो मुझे समस्या होगी"

उन्होंने कहा, "हम अपने अखबारों में हर रोज घृणा अपराधों की रिपोर्ट देखते हैं. जो लोग खुद ही वीडियो बनाते हैं और इसे सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हैं. ऐसा लगता है कि देश का धर्मनिरपेक्ष ताना-बाना धीरे-धीरे मिट रहा है और एक समय आता है जब आपको लगता है कि आपको बोलना ही होगा.

ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान बंगाली एक्ट्रेस और फिल्ममेकर अपर्णा सेन.
बता दें कि फिल्म निर्माता श्याम बेनेगल, गायक शुभा मुदगल, इतिहासकार रामचंद्र गुहा और समाजशास्त्री आशीस नंदी सहित अपर्णा सेन और 48 अन्य प्रतिष्ठित नागरिकों ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर सौंपा है.जिसमें कहा गया है, 'संसद में लिंचिंग की घटना की निंदा करना काफी नहीं है. इसके खिलाफ कठोर कानून बनना चाहिए. सत्ताधारी पार्टी की आलोचना करना देश की आलोचना बिल्कुल नहीं है. सरकार के खिलाफ उठाए गए कदम को राष्ट्र के खिलाफ नहीं माना जा सकता है.'

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