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अनुराग कश्यप ने PM मोदी को लिखा पत्र, सरकार पर बरसे, ट्रोल्स पर कसा तंज

23 जुलाई को देश के 49 सेलेब्स ने पीएम को मॉब लिंचिंग पर पत्र लिखा था. इसमें अनुराग कश्यप भी शामिल थे. पत्र के जवाब में प्रसून जोशी, मधुर भंडारकर और कंगना समेत कुल 62 सेलेब्स ने जवाबी लेटर लिखा. इसके बाद अनुराग कश्यप ने आज एक तंज भरा टवीट किया. पढ़िए पूरी खबर...

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Published : Jul 28, 2019, 6:38 PM IST

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नई दिल्लीः बॉलीवुड के जाने-माने फिल्ममेकर अनुराग कश्यप को हाल ही में पीएम को मॉब लिंचिंग पर चिंता जाहिर करते हुए ओपन लेटर लिखने के लिए जान से मारने की धमकी मिली थी. डायरेक्टर को मिली इस धमकी पर मुंबई पुलिस ने मुस्तैदी से संज्ञान लिया. मगर एक बार फिर अनुराग ने तंज भरा टवीट किया है.

'अगर एक पत्र इनको इतना प्रभावित कर सकता है तो इन्हें गलत विचारों को खोद कर बाहर निकालने और सच को गलत साबित करने के लिए सिग्नोटोरिज पर लगातार झूठे इल्जाम लगाने के लिए एक पूरी ट्रोल आर्मी की जरूरत है, सोचिए क्या होगा अगर हम शासन द्वारा खुद की भलाई के लिए किए जा रहे हर काम पर सवाल उठाने लगे.'



डायरेक्टर ने अपना पोस्ट अगले टवीट में '#स्टोप लिंचिंग' के साथ खत्म किया.



दरअसल, अनुराग कश्यर ने ये टवीट पीएम को खत लिखने वाले 49 सेलेब्स में से 9 के खिलाफ क्रिमिनल कंप्लेंट होने के बाद आया है जिनमें अभिनेत्री कोंकणा सेन शर्मा और अपर्णा सेन भी शामिल है. केस चीफ जुडिशियल मजिस्ट्रेट सुर्य कांत तिवारी के कोर्ट में फाइल हुआ है. केस सिटी बेस्ड लॉयर सुधीर ओझा ने किया है. वकील ने शनिवार को कोंकणा सेन और अपर्णा सेन समेत 7 और लोगों पर केस फाइल की.

पढ़ें- PM को खत लिखने के बाद अनुराग कश्यप को मिली जान से मारने की धमकी



कंप्लेंट के मुताबिक, सेलेब्स के ऊपर सेक्शन आईपीसी के सेक्शन 124ए(सेडिशन), 153बी, 290, 297, 504 के तहत इल्जाम लगे हैं. कंप्लेंट लॉयर ने एनआई से बात करते हुए कहा, 'मजिस्ट्रेट ने केस स्वीकार लिया है और 3 अगस्त को केस की सुनवाई होगी.'

गौरतलब है कि देश के फेमस 49 सेलेब्स जिनमें अनुराग कश्यप, श्याम बेनेगल जैसे डायरेक्टर्स शामिल थे, ने पीएम को मॉब लिंचिंग करने वालों के खिलाफ उदाहरणीय दण्ड की मांग की थी. इस पत्र में जय श्री राम का वॉर-क्राई बनने को हाईलाइट किया गया था.

पत्र के जवाब में सरकार ने कहा कि दलित और अल्पसंख्यक देश में सुरक्षित हैं और जो लोकसभा की हार से अभी तक उबरे नहीं है. वो बस आपराधिक घटनाओं को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं.

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