मुंबई : अनुराग बासु का कहना है कि फिल्मकारों द्वारा विभिन्न माध्यमों में दिखाए जाने के लिए अकसर साहसिक विषयों का चुनाव किया जाता है. हालांकि रचनात्मकता की आजादी और उसके दुरुपयोग का ध्यान फिल्मकारों को हमेशा अपने दिमाग में रखनी चाहिए.
बासु ने बताया, 'रचनात्मकता की आजादी और उसके दुरुपयोग के बीच एक बहुत पतली रेखा है. मैं यहां ओटीटी की भी बात कर रहा हूं. अनोखी कहानियों का जिक्र करते वक्त फिल्मकारों को बोलने की स्वतंत्रता का ध्यान बेहतरी से रखना चाहिए.'
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अनुराग बासु की फिल्म 'लूडो' को अभी कुछ ही महीनों पहले ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज किया गया था और अब जल्द ही इसे टेलीविजन पर प्रसारित किया जाएगा.
उन्होंने इस पर कहा, 'बड़े पर्दे पर भी कई फिल्मकारों द्वारा साहसिक विषयों पर काम किया गया है. मेरी फिल्म 'लूडो' भी कई ऐसे बोल्ड विषयों पर आधारित है, जिसे शुरुआत में बड़े पर्दे को ध्यान में रखकर ही बनाया गया था.'