मुंबई :मशहूर फिल्ममेकर और अभिनेता अमोल पालेकर का मानना है कि हिंदी सिनेमा में जातिगत मुद्दों को तरजीह नहीं दी जाती है. एक इंटरव्यू में अमोल पालेकर ने यह बात कही है. दरअसल, 12 साल बाद अभिनेता एक बार फिर फिल्म '200-हल्ला हो' से वापसी कर रहे हैं. फिल्म एक दलित महिला पर आधारित है, जिसने खुली अदालत में एक बलात्कारी पर हमला किया था. इस सिलसिले में अमोल पालेकर ने फिल्म से जुड़ी कई अहम बातों पर रोशनी डाली.
बता दें, फिल्म '200 हल्ला हो' का निर्देशन सार्थक दासगुप्ता ने किया है और इस फिल्म के सह-लेखक सार्थक दासगुप्ता और गौरम शर्मा हैं. फिल्म 200 दलित महिलाओं की नजर में यौन हिंसा के मुद्दे, जातिगत उत्पीड़न, भ्रष्टाचार और कानूनी खामियों पर आधारित हैं.
फिल्म निर्माताओं पर कही ये बात
एक इमेल इंटरव्यू में पालेकर ने बताया, इस फिल्म की कहानी जातिगत मुद्दों के इर्दगिर्द घूमती है, जो कि अब ऐसी फिल्में हिंदी सिनेमा में देखने को नहीं मिलती है. उन्होंने कहा कि हिंदी सिनेमा के लिए ऐसी फिल्में मनोरंजन का साधन नहीं हैं. वहीं, फिल्म निर्माता भी इन मुद्दों पर बनने वाली फिल्मों पर पैसा लगाने से कतराते हैं.
पालेकर ने कहा कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री अभी भी 'ब्राह्मणवादी सौंदर्यशास्त्र' से खुद को दूर नहीं कर पा रही है. उन्होंने कहा कि हिंदी सिनेमा जातिगत मुद्दों पर आधारित फिल्में बनाने पर चुप्पी साधे हुए हैं.
अमोल पालेकर ने की इन फिल्मों की तारीफ
पालेकर ने आमिर खान की फिल्म 'लगान' और 'पिंक' और 'थप्पड़' जैसी फिल्मों के उदाहरण देते हुए कहा इन फिल्मों में हमने स्री जाति से द्वेष की झलक देखी. उन्होंने कहा कि इन फिल्मों ने हमारे पाखंड को सामने खोलकर रख दिया.