भारत को पोलियो मुक्त राष्ट्र कहा जाता है, लेकिन दुनिया में अभी भी कुछ देश है जहां इस जटिल बीमारी से पूरी तरह से मुक्ति अभी तक संभव नहीं हुई है. दशकों से विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा दुनिया के लगभग सभी देशों के कई सरकारी व गैर सरकारी संगठन इस रोग के उन्मूलन तथा इस रोग से बचाव के लिए हर बच्चे को वैक्सीन की सुरक्षा मिल सके, इसके लिए कई स्वास्थ्य परक तथा सामाजिक जनजागरूकता कार्यक्रम व अभियान चला रहे हैं. उनकी इसी मुहिम को दिशा देने तथा पोलियो उन्मूलन तथा पोलियो टीकाकरण को लेकर वैश्विक पटल पर लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 24 अक्टूबर को विश्व पोलियो दिवस (World Polio Day) मनाया जाता है. इस वर्ष यह विशेष दिवस 'माताओं और बच्चों के लिए एक स्वस्थ भविष्य' (A healthier future for mothers and children) थीम पर मनाया जा रहा है.
भारत सरकार के प्रयास
गौरतलब है कि 30 वर्ष पहले तक पोलियो भारत में एक आम बीमारी माना जाता था. लेकिन भारत सरकार के पल्स पोलियो अभियान सहित कई सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं के विभिन्न अभियानो तथा प्रयासों का नतीजा रहा है कि 27 मार्च 2014 को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा भारत को पोलियो से मुक्त घोषित कर दिया गया. इससे पूर्व 1995 में भारत में विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैश्विक पोलियो उन्मूलन प्रयास के परिणामस्वरूप पल्स पोलियो टीकाकरण कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी. जिसके तहत 5 वर्ष से कम आयु के सभी बच्चों को हर साल दिसम्बर और जनवरी माह में ओरल पोलियो टीके की दो खुराक दी जाती थी. इस अभियान में भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ यूनिसेफ और रोटरी इंटरनेशनल जैसी संस्थाओं ने भी अहम भूमिका निभाई हैं. अभी भी भारत सरकार के पल्स पोलियो अभियान के तहत घर-घर जाकर बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाई जाती है.
इतिहास
विश्व पोलियो दिवस के इतिहास के बारें में बात करें तो इस दिवस को मनाये जाने की शुरुआत रोटरी इंटरनेशनल द्वारा की गई थी. पोलियो के टीके की खोज करने वाले वैज्ञानिक जोनास साल्क के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में हर साल 24 अक्टूबर को यह दिवस मनाया जाता है. गौरतलब है कि जोनास साल्क व उनकी टीम ने वर्ष 1955 में पोलियो के टीके की खोज की थी.