नई दिल्ली : इमारत की नींव को बुद्धिमानी से डिजाइन करके, इमारत को ज्यादा नुकसान पहुंचाए बिना भूकंप की तरंगों को वापस मोड़ा या परावर्तित किया जा सकता है. आईआईटी की एक टीम ने भूकंप से इमारतों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए ऐसी ही दो आयामी मेटामटेरियल आधारित नींव का प्रस्ताव दिया है. यह 2.6 हर्ट्ज से 7.8 हर्ट्ज तक भूकंप से होने वाली तरंगों को क्षीण करता है. IIT की इस रिसर्च का विवरण जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित किया गया है.
IIT Mandi की टीम ने इसके लिए two-dimensional metamaterials ( द्वि-आयामी मेटामटेरियल्स ) का उपयोग किया है. धातु और प्लास्टिक जैसी सामग्री से बने कई तत्वों को जोड़कर एक मेटामटेरियल बनाया जाता है, जो आमतौर पर दोहराते हुए पैटर्न से तैयार होता है, जो भूकंप के कंपन या भूकंपीय तरंगों से प्रभावित होने वाली घटनाओं की तरंग से छोटी होती हैं. आईआईटी के मुताबिक भूकंपीय तरंगें लोचदार होती हैं जो पृथ्वी की परतों के माध्यम से ऊर्जा का परिवहन करती हैं. अन्य प्रकार की भौतिक तरंगों के विपरीत, भूकंपीय तरंगों में लंबी तरंग कम आवृत्ति की होती है. भूकंपीय तरंगों के लिए metamaterials की जांच अपेक्षाकृत नया और अत्यधिक जटिल क्षेत्र है.
यह रिसर्च IIT Mandi के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अर्पण गुप्ता, और उनके शोधकर्ताओं ऋषभ शर्मा, अमन ठाकुर और डॉ. प्रीति गुलिया ( Dr Arpan Gupta , Associate Professor , School of Engineering , IIT Mandi, Rishabh Sharma , Aman Thakur and Dr Preeti Gulia ) के सहयोग से की गई है.
इस शोध के महत्व को समझाते हुए डॉ. अर्पण गुप्ता ने कहा, इमारत की नींव को बुद्धिमानी से डिजाइन करके, इमारत को ज्यादा नुकसान पहुंचाए बिना भूकंप की तरंगों को वापस मोड़ा या परावर्तित किया जा सकता है. किसी भी इमारत की सुरक्षा लिए एक अच्छी नींव की आवश्यकता अत्यंत महत्वपूर्ण होती है, इमारत फाउंडेशन की इस नवीन डिजाइन के माध्यम से ऐसा किया जा सकता है, और इसे मेटामटेरियल फाउंडेशन के रूप में जाना जाता है. भौतिक गुणों के कारण यह तकनीकी भिन्नता तरंगों के प्रतिबिंब को जन्म दे सकती है जिससे उस नींव पर बने हुए भवन संरचना की सुरक्षा हो सकती है.