नई दिल्ली: सीवोटर के एक विशेष सर्वे में वायु प्रदूषण के बारे में कई चौंकाने वाली बात सामने आई जो भारत में एक गंभीर मुद्दा बन गया है. चूंकि हवा की गुणवत्ता में गिरावट उत्तर भारत में पराली जलाने के मौसम के साथ मेल खाती है, फिर भी लोगों को यह प्रदूषण का सबसे बड़ा स्रोत नहीं लगता है. CVoter Foundation द्वारा किए गए एक सर्वे में उत्तर भारत के 1,803 लोगों से पूछा गया कि उन्हें प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण क्या लगता है. ज्यादातर लोगों ने कहा, 'बहुत सारे निजी' वाहन के चलते ऐसा हुआ है. सर्वे के अनुसार, 27.3 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है कि बहुत अधिक निजी वाहन प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण हैं.
दूसरा सबसे बड़ा कारण - औद्योगिक प्रदूषण का कम रेगुलेशन था - 16.3 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इसे महसूस किया. लगभग 14 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है कि खुले में कचरा जलाना सबसे बड़ा कारण है, इसके बाद सार्वजनिक परिवहन की खराब स्थिति (11 प्रतिशत) और निर्माण धूल (9.5 प्रतिशत) हैं. बमुश्किल 5.6 प्रतिशत उत्तरदाताओं के लिए पराली जलाना एक प्रमुख कारण था, जो इसे छठे स्थान पर रखता है.
केवल 2 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना था कि बिजली संयंत्रों से उत्सर्जन प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण था और 1.4 प्रतिशत ने एयर कंडीशनर जैसे उपकरणों को भी इसके लिए दोषी माना. वर्षों से, पराली जलाने से होने वाले खतरों के बारे में मीडिया प्लेटफार्मों पर कई रिपोर्टें आती रही हैं. CVoter Foundation द्वारा किए गए एक सर्वे में उत्तर भारत के 1,803 भारतीयों से पूछा गया कि उन्हें प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण क्या लगता है.