वाराणसी :सीमा पर तैनाती से इतर देश के अलग-अलग प्रांतों में तैनात सेना के जवानों को भी विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है. इसमें प्राकृतिक आपदा सबसे आगे है, जिसमें हर साल कई जवान अपनी जान गंवाते है. पिछले दिनों मणिपुर और पहाड़ी क्षेत्र में हुए भूस्खलन की वजह से कई जवानों को जोखिम उठाना पड़ा. इसे देखते हुए दो छात्रों ने एक ऐसा स्मार्ट वाच ट्रैकर (Smart watch tracker) तैयार किया है जिससे जवानों का पता चल सकेगा. यह स्मार्ट वॉच इन जवानों को खोजने और राहत देने में अच्छी मददगार साबित हो सकती है.
मणिपुर भूस्खलन ने किया प्रेरित: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के आर्यन इंटरनेशनल स्कूल (Aryan International School Varanasi) के कक्षा 8 में पढ़ने वाले दो छात्र दक्ष अग्रवाल और सूरज (Daksh Agarwal and Suraj) ने मिलकर दुर्गम क्षेत्रों में तैनात जवानों के लिए एक खास 'स्मार्ट सोल्जर ट्रेकर घड़ी' (Smart Soldier Trekker watch) तैयार की है. दक्ष अग्रवाल ने बताया कि मणिपुर में हुई भूस्खलन (landslide) की घटना ने हमें झकझोर दिया. इसे देखते हुए हम लोगों ने एक विशेष प्रकार की स्मार्ट वॉच इजाद की है जो कि जवानों और नागरिकों के बहुत काम आएगी.
उन्होंने बताया कि स्मार्ट सोल्जर ट्रैकिंग घड़ी लैंडस्लाइड (भूस्खलन) होने पर मलबे में दबे जवानों को (Smart Soldier Tracking Watch) ढूंढ़ने और बचाव दल के रूप में काम करेगा. इस ट्रैकिंग घड़ी के दो भाग हैं- पहला (ट्रांसमीटर सेंसर) जो जवानों की घड़ी में लगा होगा. दूसरा रिसीवर अलार्म सिस्टम जो स्मार्ट घड़ी के ट्रांसमीटर सेंसर से जुडा होता है. (रिसिवर अलार्म सिस्टम) सेना के कंट्रोल रूम में होगा इसकी रेंज अभी तकरीबन 50 मीटर होगा. जब भी कभी भूस्खलन जैसी घटना होती है, घड़ी के सेंसर्स पर काफी दबाव पडेगा जिससे वो एक्टिव हो जाएंगे और रिसिवर को सिग्नल भेजने लगते हैं. जैसे रिसिवर घड़ी से भेजे गये रेडियो सिग्नल (Radio signal)को रिसीव करता है, कन्ट्रोल रूम में लगा आलर्म ऑन हो जाएगा. मलबे में दबे घड़ी के सिग्नल से हमें अंदर के एरिया की जानकारी हो जाएगी. जैसे जैसे नजदीक पहुंचेगे, वैसे ही सिग्नल मजबूत होते जाएंगे. इससे उनकी आसानी से मदद हो जाएगी.
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