न्यूयॉर्क :भारतीय मूल के वैज्ञानिकों के एक दल ने एक खास तरह का लाइटर बनाया है, जो स्पेससूट या एक मंगल रोवर के लिए उपयुक्त है. दक्षिण कैरोलिना के क्लेमसन विश्वविद्यालय में क्लेम्सन नेनोमेट्रिअट्स इंस्टीट्यूट (सीएनआई) के शैलेन्द्र चिलुवाल, नवाज सपकोटा, अप्पाराव एम राव और रामकृष्ण पोदिला, इन बैटरियों को बनाने वाली टीम का हिस्सा थे.
कॉलेज ऑफ साइंस डिपार्टमेंट ऑफ फिजिक्स एंड एस्ट्रोनॉमी में सहायक प्रोफेसर पोडिला ने कहा कि, अमेरिकी उपग्रहों में इन नई क्रांतिकारी बैटरियों का इस्तेमाल जल्द ही किया जा सकता है.
अधिकांश उपग्रह मुख्य रूप से अपनी शक्ति सूर्य से प्राप्त करते हैं लेकिन, उपग्रहों को ऊर्जा एकत्र करने में सक्षम होना पड़ता है जब वे पृथ्वी की छाया में होते हैं.
पोडिला ने यह भी कहा कि, 'हमें बैटरी को जितना संभव हो उतना हल्का बनाना होगा क्योंकि जितना अधिक उपग्रह का वजन होता है, उतना ही अधिक उसके मिशन की लागत होती है.'
नासा द्वारा वित्त पोषित यह शोध अमेरिकन केमिकल सोसाइटी जर्नल एप्लाइड मैटेरियल्स एंड इंटरफेसेस में दिखाई दिया. पोडिला ने कहा कि समूह की सफलताओं को समझने के लिए, लिथियम-आयन बैटरी में ग्रेफाइट एनोड की कल्पना, कार्ड के डेक के रूप में की जा सकती है, जिसमें प्रत्येक कार्ड ग्रेफाइट की एक परत का प्रतिनिधित्व करता है और जब तक कि बिजली की जरूरत नहीं होती तो इसका उपयोग चार्ज को स्टोर करने के लिए किया जाता है. पोडिला के अनुसार ग्रेफाइट ज्यादा चार्ज नहीं कर सकता है.