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चंद्रयान-3 : लैंडिंग सिमुलेशन के लिए कृत्रिम चंद्र क्रेटर बनाएगा इसरो - कृत्रिम चंद्रमा क्रेटर

इसरो कर्नाटक के चल्लकेरे में कृत्रिम चंद्र क्रेटर्स का निर्माण कर रहा है, जो चंद्रयान-3 लैंडर को चंद्रमा की सतह पर उतरने के परीक्षण में प्रयोग किया जाएगा.

चंद्रयान 3, लैंडिंग सिमुलेशन के लिए कृत्रिम चंद्रमा क्रेटर
चंद्रयान 3: लैंडिंग सिमुलेशन के लिए कृत्रिम चंद्रमा क्रेटर बनाएगा इसरो

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Published : Aug 28, 2020, 4:27 PM IST

Updated : Feb 16, 2021, 7:31 PM IST

बेंगलुरु:चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 के उतरने का परीक्षण करने के लिए, इसरो कर्नाटक के चल्लकेरे में कृत्रिम चंद्रमा क्रेटर्स का निर्माण कर रहा है. यह स्थान बेंगलुरु से 215 किलोमीटर दूर, चित्रदुर्ग जिले में चल्लकेरे के Ullarthi Kavalu में स्थित है. सूत्रों के अनुसार इसकी कीमत लगभग 24.2 लाख रुपये है.

सत्रों की मानें तो, इसरो ने पहले ही निविदाएं (टेंडर) मांगी हैं और सभी सिविल कार्यों के लिए एक फर्म की पहचान करने की प्रक्रिया इस महीने के अंत तक या सितंबर की शुरुआत में पूरी हो जाएगी.

साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि क्रेटर्स का व्यास 10 मीटर और इसकी गहराई तीन मीटर होगी. क्रेटर्स चंद्रमा की सतह का परीक्षण करने के लिए हैं, जिस पर चंद्रयान-3 लैंडर को उतारा जाएगा.

परीक्षण में इसरो के यान शामिल होंगे, जो कृत्रिम चंद्र सतह पर सात किमी की ऊंचाई से उतरने वाले सेंसर के साथ उड़ान भरेंगे और सतह से दो किलोमीटर की दूरी से सेंसर यान का मार्गदर्शक करेगा.

एक वैज्ञानिक ने कहा कि लैंडर के सेंसर एक महत्वपूर्ण परीक्षण लैंडर सेंसर परफॉर्मेंस टेस्ट (एलएसपीटी) से गुजरेंगे, जो हमें कृत्रिम चंद्रमा की साइट पर यान के सेंसर को उड़ाने में शामिल करेगा और जिससे हम यह जांच पाएंगे कि लैंडर का मार्गदर्शन करने में हम कितने कुशल हैं.

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चंद्रयान-2 की तरह अगला चंद्र मिशन भी अत्यधिक स्वतंत्र होगा, जिसमें कई सेंसर का प्रयोग और लैंडिंग स्पॉट से ऊंचाई का आकलन करने में मदद के लिए डिज़ाइन जोड़े जाएंगे. साथ ही इसकी गति भी तय की जाएगी ताकि यान को बोल्डर और असमान सतहों से दूर रखा जा सके.

वैज्ञानिक ने यह भी कहा कि इस बार संपूर्ण परीक्षण पर चंद्रयान-2 से अधिक ध्यान रखा जाएगा. हम बेंगलुरु में ISITE (इसरो सैटेलाइट इंटीग्रेशन एंड टेस्ट इस्टैब्लिशमेंट) में एक पूर्ण लैंडर का परीक्षण करना चाहते हैं. हमें यह तो नहीं पता कि यह कितना संभव होगा, लेकिन हम ऐसा करने की सोच रहे हैं.

चंद्रयान-2 के लिए भी इसी तरह के क्रेटर बनाए गए थे, लेकिन सूत्रों का कहना है कि चूंकि यह एक खुली भूमि पर बनाए गए हैं, इसलिए गुणवत्ता पर सवाल उठे थे, इस कारण दोबारा क्रेटर बनाए गए.

Last Updated : Feb 16, 2021, 7:31 PM IST

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