दिल्ली

delhi

ETV Bharat / science-and-technology

छात्राओं ने बनाया स्मार्ट-ट्रैकर यूनिफॉर्म, नैनो-जीपीएस से लैस - स्मार्ट-ट्रैकर यूनिफॉर्म की विशेषताएं

बच्चों के अपहरण की बढ़ती घटनाओं के बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के अशोक इंस्टीट्यूट की छात्राओं ने एक स्मार्ट-ट्रैकर यूनिफॉर्म बनाया है. यह यूनिफॉर्म लापता बच्चों को खोजने में मददगार होगा. इस तकनीक से, बच्चों को ढूंढा जा सकता है और उनके लोकेशन के बारे में जानकारी दी जा सकती है.

स्मार्ट-ट्रैकर यूनिफॉर्म, स्मार्ट-ट्रैकर यूनिफॉर्म की विशेषताएं
बीटेक की लड़कियों ने बनाया नैनो-जीपीएस तकनीक से लैस स्मार्ट-ट्रैकर यूनिफॉर्म

By

Published : Sep 1, 2020, 4:36 PM IST

Updated : Feb 16, 2021, 7:31 PM IST

वाराणसी (उत्तर प्रदेश): नैनो-जीपीएस तकनीक से लैस स्मार्ट-ट्रैकर यूनिफॉर्म की कुछ विशेषताएं:

स्मार्ट-ट्रैकर यूनिफॉर्म की विशेषताएं

बच्चा जैसे ही घर से बाहर निकलता है, फोन से जुड़ा यह उपकरण माता-पिता को उसके ठिकाने के बारे में सूचित करेगा. इसकी रेंज असीमित है और यह कई किलोमीटर की दूरी से भी बच्चे को ट्रैक करने में सक्षम है. यह बच्चे के अंगरक्षक (बॉडीगार्ड) के रूप में कार्य करता है.

अशोका इंस्टीट्यूट की बीटेक अंतिम वर्ष की छात्राओं आरती यादव, पूजा और संगीता ने यह स्मार्ट-ट्रैकर यूनिफॉर्म बनाई है जो नैनो-जीपीएस तकनीक से लैस है.

आरती ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान अपहरण की घटनाएं बढ़ गई थीं. इसे देखते हुए बच्चों की यूनिफॉर्म में जीपीएस डिवाइस लगाई गई और इसके साथ ही, एक सिम कार्ड क्लाउड डाला गया जिससे सिम कार्ड पर कमांड डालने से बच्चे के सही ठिकाने पता चल जाएगा.

इन्वेंटर्स का कहना है कि यह न केवल बच्चों के गायब होने के बाद उनके सही ठिकाने के बारे में जानकारी देगा बल्कि उन बच्चों के बारे जानकारी देगा जो ऐसे बच्चों के खो जाने पर ठीक से बात नहीं कर पाते हैं. बार कोड की मदद से, बच्चों के माता-पिता को सूचित किया जा सकता है और साथ ही पुलिस आसानी से अपहरणकर्ताओं को पकड़ने में सक्षम होगी.

बार कोड लगाने से बच्चे की पूरी प्रोफाइल का पता चल जाएगा, जिससे उसे आसानी से घर भेजा जा सकता है. यह उपकरण बच्चों की पैंट में छुपा होता है और इसमें एक ऐसी बैटरी होती है, जो छह या सात घंटे आराम से काम कर सकती है. इसके अलावा, इस उपकरण में एक ट्रांसमीटर और एक बजर भी होता है.

जब बच्चा घर से बाहर निकलता है, तो ट्रांसमीटर रिसीवर में एक ध्वनि पैदा करता है, जो यह संकेत देगा कि बच्चा घर से बाहर चला गया है. यह छोटे बच्चों के माता-पिता के लिए बहुत उपयोगी है. इस उपकरण की कीमत लगभग 1,000 रुपये है.

आरती ने यह भी कहा, 'हमने इस नवाचार के बारे में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन को एक पत्र लिखा है.हम यूपी सरकार से अनुरोध करते हैं कि वह इस आविष्कार को देखे और राज्य में इसका इस्तेमाल करें ताकि छोटे बच्चे सुरक्षित हो सकें.बच्चों की कपड़ों की कंपनियां इस चिप को लगाकर अपने कपड़े बाजार में प्रदर्शित कर सकती हैं.'

अशोक इंस्टीट्यूट के अनुसंधान और विकास के डीन श्याम चौरसिया ने छात्राओं के प्रयासों की सराहना की और उन्हें इस तरह के इनोवेशन कैंपेन को जारी रखने के लिए प्रेरित किया है. उन्होंने कहा कि छात्राओं द्वारा यह अनूठा प्रयास छोटे बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा.

गोरखपुर के क्षेत्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी महादेव पांडे ने कहा कि यह नवाचार छोटे बच्चों के लिए बहुत उपयोगी है. यह उपकरण छोटे बच्चों के साथ होने वाली किसी भी दुर्घटना के मामले में काफी प्रभावी साबित हो सकता है.

Last Updated : Feb 16, 2021, 7:31 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details