हैदराबादः आज कल हर इंफॉर्मेशन जैसे अपने बैंक अकाउंट्स, आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि जैसे सभी जरूरी डिटेल्स, हम डिजिटली सेव करते है.आपकी यह निजी इंफॉर्मेशन इतने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पायी जाती है. नतीजा, इससे इंफॉर्मेशन लीक होने का खतरा बढ़ जाता है.
हैकर्स आपकी इस पर्सनल इंफॉर्मेशन को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते हैं. यह साइबरवॉरफेयर का एक प्रकार है. इसे अंजाम कोई भी दे सकता है, चाहे एक व्यक्ति हो या कुछ लोगों का समूह हो, प्राइवेट संस्थाएं हो या पूरा देश.
आप सोच नहीं सकते की रोजाना कितने साइबर अटैक्स होते है. हजारों की तादाद में हैकर्स, कम्प्यूटर्स और कई नेटवर्क्स पर अटैक करके डाटा चुरा लेते है. इस साइबरवॉरफेयर को अंजाम देने के लिये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मानव रहित ड्रोन्स, जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम्स, साइबर-अटैक्स जैसे सभी तरीकों का उपयोग किया जा रहा है. जितनी इंफॉर्मेशन हम डिजिटल प्लेटफॉर्मस पे डालते हैं उतने ही संकट के बादल मंडराने लगते है. क्योंकि हैकर्स हर पल आपके जरूरी डाटा को चुराने में लगे रहते है.
अब यह साइबर अटैक्स किसी व्यक्ति विशेष, बैंक्स, क्रेडिट कार्ड कंपनियों तक सीमित नहीं रह गए हैं. यह अटैक्स सरकारी संस्थाएं, देशों की सुरक्षा प्रणालियों आदि पर भी होने लगे हैं.
कर्नल इंदरजीत के मुताबिक, जब किसी देश में सब कुछ कुशलपूर्वक और शांति से चल रहा हो, तब ऐसे देशों में ही साइबर अटैक्स का खतरा बढ़ जाता है. इन अटैक्स में हैकर्स देश की पावर ग्रिड, वाटर ग्रिड, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और दूसरी जरूरी सेवाओं को निशाना बनाते हैं.
परिणाम स्वरुपः-
- देश की अर्थव्यवस्था बिगड़ जाती है.
- बहुत बड़े स्तर पर चीटिंग होती हैं.
- कई लोगों की जान चली जाती हैं.
- करोड़ों अरबों रुपये का हेर फेर होता है.
साइबर अटैक्स और साइबर स्पेस में चल रहे युद्ध को एक और नये शब्द के साथ जोड़ा जा रहा हैं - साइबरवॉरफेयर. यह केवल एक शब्द नहीं हैं बल्कि अपने साथ लाया है तबाही. इतना ही नहीं, इस साइबरवॉरफेयर को अंजाम देने के लिए, हैकर्स कंप्यूटर सिस्टम्स और नेटवर्क को सबोटाज करते हैं. यानि की हैकर्स, कंप्यूटर सिस्टम्स और नेटवर्क को अपने कब्जे में करके, डाटा और अन्य जानकारी को हासिल करके तबाही मचाते हैं. इतना ही नहीं, साइबरवॉरफेयर में हैकर्स अटैक करने से पहले जासूसी कर सारी जानकारी भी प्राप्त कर लेते हैं. इसके पश्चात हैकर्स अटैक करने की प्रक्रिया बनाते हैं और इसे अजाम देने के लिए तरह-तरह के साइबरवेपन्स का प्रयोग किया जाता हैं.
कर्नल इंदरजीत के अनुसार, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का उपयोग साइबरवॉरफेयर को अंजाम देने के साथ-साथ, इसे रोकने के लिये भी किया जा रहा है.
कुछ क्षेत्रों में साइबर अटैक्स का खतरा ज्यादा होता हैं:-
- स्वास्थ्य सम्बन्धी सेवाएं
- उत्पादन क्षेत्र
- वित्तीय सेवाएं
- सरकारी संस्थाएं
- शिक्षा(प्राणाली और संस्थाएं आदि)
किस-किस तरह से सरकारी संस्थाओं पर साइबर अटैक्स किये जाते हैं :-
- डाटा स्क्रैपिंग(आपके कंप्यूटर सिस्टम से एक दूसरा प्रोग्राम सारी जानकारी चुरा लेता हैं)
- कीस्ट्रोक थेफ्ट(कीबोर्ड की हैकिंग, पासवर्ड और अन्य जरूरी जानकरी की चोरी की जाती हैं)
- डिस्ट्रिब्यूटेड डिनायल-ऑफ-सर्विस अटैक्स(आपकी वेबसाइट और ऑनलाइन सर्विसेज पर इतना ट्रैफिक आ जाता हैं. जिससे आपका सर्वर सही से काम नहीं करता. यहीं से हैं साइबर अटैक की शुरुआत.)
- वर्म्स एंड ट्रोजन हॉर्सेज(बिना किसी की मदद के वर्म्स एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर पर जाते है. लेकिन ट्रोजन हॉर्सेज एक रियल एप्लिकेशन की तरह दिखते हैं.यह इतने हानिकारक होते हैं कि आपकी सारी जरूरी जानकारी हैक हो जाती है.)
- रिमोट पोर्ट स्कैनिंग(ओपन, क्लोज्ड और फिल्टर्ड नेटव्रक पॉइंट्स को स्कैन करके, अटैक करता है)
- मैलवेयर (एक सॉफ्टवेयर कंप्यूटर सिस्टम्स, जो आपके डेटा को नुकसान पहुंचता है.)
- APT ( बड़े पैमाने पर APTअटैक्स होते हैं. कुछ समय तक, यह पता नहीं चलता है कि यह अटैक हुआ है.)
- स्पूफिंग(हैकर्स एक नकली पहचान बना कर, साइबर अटैक के समय पैसों की मांग करते है.)
- पिंग फ्लड्स(नकली रिक्वेस्ट्स के मेल आते हैं. इनका जवाब देने पर आप साइबर अटैक का शिकार बन जाते हैं.)
- स्मरफिंग( हैकर्स अटैक करके,पैसे का हर फेर करते हैं.)
- फिशिंग(कई ऐसे इमेल्स, मैसेजेस आते हैं, जो लगता हैं की किसी सही व्यक्ति से आ रहे हैं. हांलाकि ऐसा नहीं होता है. यह आपकी सारी जरूरी जानकरी जैसे की आधार कार्ड, बैंक अकाउंट डिटेल्स, पासवर्ड आदि लेकर आपको शिकार बना लेते हैं.) फिशिंग के साथ-साथ, इव्जड्रॉपिंग ऑफ ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क्स(तारों की चोरी) को भी हैकर्स अंजाम देते हैं
कर्नल इंदरजीत के अनुसार, हैकर्स बड़े पैमाने पर डेटा चुराते हैं.इस डेटा को लंबे समय तक रखा जाता है. किस लिए रखा जाता है, किन कारणों के लिए रखा जाता है, इसकी सही जानकारी नहीं है.
कर्नल इंदरजीत का यह भी कहना हैं कि फिशिंग अटैक्स बहुत कॉमन हैं. सही जानकारी होना जरुरी है.आंख बंद करके किसी पर भी विश्वास करना सही नहीं होगा.
इनके अनुसार, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जहां एक तरफ यह सारे साइबर क्राइम होते हैं, वहीं यह साइबर क्राइम को रोकने एक लिए, एक जरूरी हथियार भी बन सकता है.