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प्रधानमंत्री किसी के आगे झुके नहीं बल्कि उन्होंने किसानों की बात मानी है : विजयपाल तोमर - Opposition to decision of the government

भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद और बीजेपी के पूर्व किसान मोर्चा अध्यक्ष विजयपाल तोमर ने कहा है कि विपक्ष चाहे कुछ भी कहे ना तो चुनाव की मजबूरी थी और ना ही किसी तरह की मजबूरी बल्कि सरकार ने किसानों की बात मानी है. विपक्ष का काम है आरोप लगाना और वह आरोप लगाती रहेगी. तीन कृषि कानूनाें काे रद्द करने के माेदी सरकार के फैसले पर बीजेपी किसान मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष विजय पाल ताेमर से ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना ने की खास बातचीत.

प्रधानमंत्री
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Published : Nov 19, 2021, 5:27 PM IST

Updated : Dec 2, 2021, 12:12 PM IST

नई दिल्ली :बीजेपी किसान मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष विजयपाल तोमर ने कहा है कि प्रधानमंत्री ने किसानों की बात सुनी है. पिछले एक साल से लगातार किसान आंदोलन कर रहे थे और उसमें कुछ ऐसे असामाजिक तत्व भी घुस गए थे जो लगातार गड़बड़ी फैलाने की कोशिश कर रहे थे.

किसानों की समस्याओं को देखते हुए ही प्रधानमंत्री ने उनकी बात मानी है ना कि उन्होंने किसी के आगे घुटने टेके हैं. श्री तोमर ने कहा कि बीजेपी हमेशा से किसानों के हित के लिए काम करती आई है और पार्टी और सरकार दोनों ने ही किसानों को समझाने की हर बार कोशिश की लेकिन किसान मानने को तैयार नहीं थे और वह लगातार आंदोलन कर रहे थे. ऐसे में किसानों के हित को देखते हुए प्रधानमंत्री ने यह निर्णय लिया है.

इस सवाल पर कि विपक्ष आरोप लगा रहा है कि किसान आंदोलन के आगे अहंकार झुक गया, इस पर विजयपाल तोमर का कहना है कि पहले भी यदि यह फैसला लिया जाता तो विपक्ष कुछ ना कुछ आरोप लगाता रहता क्योंकि विपक्ष का काम है आरोप लगाना इसलिए विपक्ष से हमें मतलब नहीं हमें किसानों से मतलब है और वह लगातार आंदोलनरत है, इसलिए प्रधानमंत्री ने यह फैसला लिया है.

बीजेपी के पूर्व किसान मोर्चा अध्यक्ष विजयपाल तोमर

इस सवाल पर कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में चुनाव है और यहां पर पार्टी को ऐसा लग रहा था कि नाराज किसान बीजेपी को नुकसान पहुंचा सकते हैं क्या इस दबाव में यह फैसला लिया गया है, इस सवाल पर विजय पाल तोमर का कहना है कि यह फैसला किसी भी दबाव में नहीं लिया गया है बल्कि किसानों के हित में लिया गया है. विपक्ष चाहे कुछ भी बात बनाता रहे. इसके अलावा इस सवाल पर कि इस तरह से कानून वापस लिया जाना एक परिपाटी को जन्म दे सकता है और लोग आंदोलन कर और भी कानून वापस कराने की मांग कर सकते हैं इस पर श्री तोमर का कहना है कि ऐसा नहीं है.

यह मामला किसानों से जुड़ा था इस वजह से प्रधानमंत्री को किसानों की बात माननी पड़ी लेकिन ऐसा नहीं है कि आगे आने वाले दिनों में ऐसी परिपाटी सरकार विकसित होने देगी साथ ही राकेश सिंह टिकैत पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि वह कोई किसानों के सामूहिक नेता नहीं हैं बल्कि वह राजनीतिक नेताओं के हाथ में आंदोलन को उस ओर ले जा रहे थे यदि उन्हें अभी भी विश्वास नहीं है तो यह उनकी अपनी राजनीति है.

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Last Updated : Dec 2, 2021, 12:12 PM IST

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