बेंगलुरु:कर्नाटक में कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम सिद्धारमैया ने लखीमपुर घटना को लेकर पीएम मोदी पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हिंसा पर पीएम मोदी को माफी मांगनी चाहिए. जानकारी के मुताबिक सिद्धारमैया आज नई दिल्ली में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करने पहुंचे हैं.
उन्होंने कहा कि लखीमपुर खीरी में कथित तौर पर केंद्रीय गृह राज्य अजय मिश्रा के बेटे ने प्रदर्शनकारी किसानों पर कार चढ़ा दी थी, जिसके चलते 4 किसानों की मौत हो गई थी. इसके बाद हिंसा भड़क गई.
कांग्रेस नेता ने पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को गिरफ्तार किए जाने के विरोध में मशाल जुलूस निकाला. इसके बाद उन्होंने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि चार किसानों की मौत हो गई. वे विरोध कर रहे थे. यह उनका अधिकार है. वे न्याय मांग रहे थे. प्रधानमंत्री को खुद राज्य मंत्री की कार से किसानों की अमानवीय कृत्य के लिए माफी मांगनी चाहिए.
बता दें, पीड़ित परिवारों से मिलने के लिए लखीमपुर खीरी जाते समय प्रियंका गांधी वाड्रा को उप्र पुलिस ने हिरासत में ले लिया था. केंद्रीय मंत्री ने हालांकि इस घटना में अपने पुत्र के शामिल होने से इनकार किया है. साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कार्यकर्ताओं पर हमला किया गया और लाठी तथा तलवार से उनकी हत्या कर दी गई, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
सिद्धारमैया ने कहा कि मोदी को अब तक मिश्र को उनके मंत्रालय से बर्खास्त कर देना चाहिए था और उनके बेटे आशीष को गिरफ्तार कर जेल भेज देना चाहिए था. साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को नैतिक आधार पर इस्तीफा देना चाहिए था। उन्होंने कहा कि 10 महीने से अधिक समय किसान प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने विरोध करने वाले किसानों को बातचीत के लिए आमंत्रित नहीं किया है और यह लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ है.
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कांग्रेस नेता ने कहा, 'क्या यह हिटलर की हुकूमत है? भाजपा को लोकतंत्र और संविधान में कभी विश्वास नहीं रहा. अगर उन्हें लगता है कि वे जबरदस्ती किसानों का दमन करेंगे तो वे भ्रम में हैं और उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी. उन्होंने लखीमपुर खीरी में प्रियंका गांधी को मृतकों के परिवार के सदस्यों से मिलने से रोकने, उन्हें गिरफ्तार करने और मानसिक रूप से परेशान करने के लिए उप्र पुलिस की भी कड़ी आलोचना की.