नई दिल्ली: मेटा (पूर्व में फेसबुक) ने कथित तौर पर पाकिस्तान, इंडोनेशिया और फिलीपींस जैसे विकासशील देशों में अपने इंटरनेट यूजर्स को वेब तक मुफ्त पहुंच देने के नाम पर चार्ज (free internet in developing countries) लिया. मेटा की इंटरनेट सेवा, जिसे फ्री बेसिक्स कहा जाता है, मेटा कनेक्टिविटी (पूर्व में फेसबुक कनेक्टिविटी) के माध्यम से पेश की जाती है और माना जाता है कि यह यूजर्स को 'संचार उपकरण, स्वास्थ्य सूचना, शिक्षा संसाधनों और अन्य कम-बैंडविड्थ सेवाओं तक पहुंच' बिना किसी शुल्क के प्रदान करती है. 2013 में शुरू की गई यह पहल वर्तमान में वैश्विक स्तर पर 300 मिलियन से अधिक लोगों को सेवा प्रदान करती है.
द वॉल स्ट्रीट जर्नल (The Wall Street Journal) की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में यूजर्स से फेसबुक के 'मुफ्त' इंटरनेट का उपयोग करने के लिए कुल 1.9 मिलियन डॉलर का शुल्क लिया गया है, साथ ही लगभग दो दर्जन अतिरिक्त राष्ट्र भी प्रभावित हुए हैं. सोशल नेटवर्क के मुताबिक, यह समस्या इसके सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के कारण उत्पन्न हुई थी, जिसे अब ठीक कर लिया गया है. फेसबुक और कुछ अन्य वेबसाइटों पर यूजर्स को मुफ्त पहुंच प्रदान करने के लिए फेसबुक विकासशील देशों में मोबाइल वाहक के साथ साझेदारी करता है.
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है, आंतरिक कंपनी के दस्तावेजों से पता चलता है कि इनमें से कई लोगों से उन राशियों का शुल्क लिया जाता है, जो सामूहिक रूप से अनुमानित लाखों डॉलर प्रति माह होती हैं।"
बहुत से प्रयोक्ताओं के पास सस्ते सेल फोन प्लान होते हैं अक्सर प्रीपेड, फोन सेवा और इंटरनेट डेटा की एक छोटी राशि के लिए जिनकी कीमत केवल कुछ डॉलर प्रति माह होती है. जब तक उनके पास धन की कमी नहीं हो जाती, तब तक उन्हें पता ही नहीं चलता कि उनसे मोबाइल डेटा का उपयोग करने के लिए शुल्क लिया जा रहा है. ऐसा प्रतीत होता है कि समस्या की जड़ में वीडियो के साथ फेसबुक के सॉफ्टवेयर और यूजर इंटरफेस (यूआई) से है. मेटा सॉ़फ्टवेयर में गड़बड़ियां कुछ वीडियो को फ्री बेसिक्स प्रोग्राम में प्रदर्शित होने देती हैं, जो यूजस को उन वीडियो को देखने के लिए भुगतान करने देती हैं.