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बाइंग गाइड : किचन चिमनी खरीदते समय इन बातों का रखें ध्यान

बढ़ते शहरीकरण के कारण रहने की जगह कम होने लगी है. इस कारण घर और किचन भी छोटे होने लगे हैं. इसलिए, छोटे किचन यानी रसोई को स्मार्ट सल्यूशन की आवश्यकता होती है. इसी स्मार्ट सल्यूशन का एक मुख्य भाग है, किचन चिमनी. यह चिमनी तड़के और तेल के छींटों को नियंत्रित करने के लिए और खाना पकाने की जगह को साफ रखने में मददगार होती है. कौन सी चिमनी आपकी रसोई के लिए सबसे उपयुक्त होगी, यह जानने के लिए पढे़ं पूरी खबर.

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बाइंग गाइडः किचन चिमनी खरीदते समय किन बातों का रखें ध्यान

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Published : Mar 15, 2021, 8:37 PM IST

कंज्यूमर वॉइस दिल्ली : किचन चिमनी आधुनिक भारतीय रसोई का एक अहम हिस्सा है. न केवल धुआं बल्कि तेल, टाइलों और छत पर मसालों की छींटों को चिमनी से काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है.

हालांकि, देखने में सभी चिमनी एक जैसी लगती हैं. मगर इसे खरीदने से पहले, आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह आपकी रसोई की शैली (स्टाइल) को निखार दे और अच्छी सक्शन पावर के साथ आपके बजट में भी फिट हो. यूजर्स की मदद करने के लिए कंज्यूमर वॉइस ने टॉप ब्रांड्स और उनके मॉडल का प्रोडक्ट्स का सर्वे किया. यह आपको कीमत, वारंटी, प्रकार और कई अन्य विशेषताओं के आधार पर सबसे अच्छी चिमनी चुनने में मदद करेगा.

चिमनी के प्रकार

किचन चिमनी खरीदते समय इन बातों का ध्यान रखेंः

फिल्टर के प्रकार

मुख्य रूप से तीन प्रकार के फिल्टर होते हैं -

  • कैसेट/मेश फिल्टर
  • बैफल फिल्टर
  • कार्बन फिल्टर

अधिकांश भारतीय चिमनी में बैफल फिल्टर होते हैं. यह, एल्यूमीनियम वॉयर मेश फिल्टर का एक सुधारा हुआ रूप है. बैफल फिल्टर का रखरखाव आसान है, क्योंकि इन्हें 3 से 4 महीने में एक बार सफाई की आवश्यकता होती है. दूसरी ओर मेश फिल्टर को ज्यादा रखरखाव की आवश्यकता होती है. कई भारतीय घरों में कार्बन फिल्टर का भी उपयोग किया जाता है, क्योंकि यह गंध को दूर करने में मदद करता है.

आकार(साइज)

चिमनी का आकार आपके गैस स्टोव के बराबर होना चाहिए. चिमनी का सामान्य आकार 60-90 सेमी होता है.

चिमनी के प्रकार

आप कौन सी चिमनी चुनते हैं, यह पूरी तरह से आपकी रसोई की संरचना और आपने इसे कहां बनाया है, इसपर निर्भर करता है. क्षमताओं के आधार पर, भारत में रसोई चिमनी को तीन मुख्य भाग में बांटा जा सकता है.

  • वॉल माउंटेड
  • आईलैंड चिमनी
  • बिल्ट-इन चिमनी

सक्शन पावर

धुआं और जमी हुई मैल (ग्राइम) के सोखना, चिमनी का पहला काम है. इसलिए कम समय में अधिक हवा सोखने वाली चिमनी बेहतर विकल्प है. इसमें 800-1,000 एम3/ घंटे की सक्शन पावर होनी चाहिए.

डक्टिंग और डक्टलेस

  • डक्टिंग चिमनी हवा को सोखने, हवा को फिर फिल्टर और मेश से निकाला जाता है. फिल्टर, ग्राइम और तेलों को अवशोषित करते हैं. बची हुई हवा को पाइप या पीवीसी आउटलेट्स की मदद से पर्यावरण में निकाल दिया जाता है.
  • डक्टलेस चिमनी एक मोटर और एक फेन या ब्लोअर का उपयोग करती है. अवशोषित धुएं को चारकोल फिल्टर से निकाला जाता है जो गर्मी, गंध और धुएं को अवशोषित करता है. यह हवा फिर से रसोई में भेजी जाती है.

कंज्यूमर वॉयस समय-समय पर नई बाइंग गाइड्स निकालता रहता है. अधिक जानकारी के लिए, आप इस लिंक पर क्लिक करिए:-

(https://join.consumer-voice.org/product/october-2020/)

कंज्यूमर वॉयस एक गैर सरकारी संस्थान है, जो लगातार भारतीय उपभोक्ताओं को जागरूक करती रहती है. इतना ही नहीं, अलग-अलग प्रोडक्ट्स जैसे की खाने पीने का सामान, टीवी, एसी, आदि की कंज्यूमर वॉयस निष्पक्ष समीक्षा करता है. इसके बाद, कंज्यूमर वॉयस बाइंग गाइड्स को तैयार कर, ग्राहकों के लिए पेश करता है.

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