बेंगलुरु : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Institute-ISRO) ने तीन प्रकार के वेंटिलेटर विकसित किए हैं. इसके क्लीनिकल उपयोग (clinical use) के लिए उसने उद्योग को इसकी प्रौद्योगिकी (Technology) स्थानांतरित करने की पेशकश की है. ISRO की यह पेशकश ऐसे समय में आई है जब देश कोरोना वायरस की दूसरी लहर (second wave of corona virus) से जूझ रहा है.
कम लागत में बने पोर्टेबल (जिन्हें कहीं भी सुगमता से लाया- ले जाया जा सकता है) वेंटिलेटर 'प्राण' (Programmable Respiratory Assistance for the Needy Aid- PRANA) का आधार एएमबीयू बैग (कृत्रिम तरीके से श्वसन देने संबंधी इकाई) को स्वचालित दाब में रखना है.
एजेंसी की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, इस प्रणाली में अत्याधुनिक नियंत्रण प्रणाली (control system) है, जिसमें वायु दबाव संवेदक (airway pressure sensor), फ्लो संवेदक (flow sensor), ऑक्सीजन संवेदक (oxygen sensor) आदि की व्यवस्था भी है.
इसमें विशेषज्ञ वेंटिलेशन के प्रकार को चुन सकते हैं और टच स्क्रीन पैनल (Touch screen Panel) की मदद से मापदंड तय कर सकते हैं. इन वेंटिलेटर की मदद से ऑक्सीजन-वायु के जरूरत के हिसाब से बहाव को मनचाही गति से रोगी तक पहुंचाया जा सकता है.
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