लंदन : ग्रीनलैंड में ग्लेशियर और बर्फ की चोटियों का बड़े पैमाने पर पिघलना जारी है, जो कि 20वीं शताब्दी की तुलना में तीन गुना तेज हो गया है. एक नए अध्ययन से ये जानकारी सामने आई है यह रिसर्च जलवायु परिवर्तन के चलते ग्रीनलैंड के ग्लेशियरों और आइस कैप में दीर्घकालिक परिवर्तनों में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है. इसने पिछले दशक में समुद्र-स्तर में वृद्धि में काफी योगदान दिया है.
ऐतिहासिक डेटा का उपयोग करते हुए वैज्ञानिकों ने 5,327 ग्लेशियरों और आइस कैप्स की मैपिंग की, जो 1900 में लिटिल आइस एज के अंत में मौजूद थे. यह वह समय था जब व्यापक कूलिंग हुई और औसत वैश्विक तापमान 2 डिग्री सेल्सियस नीचे गिर गया. इसके बाद खुलासा हुआ कि 2001 तक ये ग्लेशियर और आइस कैप्स 5,467 टुकड़ों में बंट गए. जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि ग्रीनलैंड के ग्लेशियरों ने पिछली शताब्दी में कम से कम 587 क्यूबिक किलोमीटर बर्फ खो दी है, जो समुद्र के स्तर में 1.38 मिलीमीटर वृद्धि के लिए जिम्मेदार है.
यह प्रति वर्ष 4.34 जीटी की खतरनाक दर पर 499 गीगाटन (जीटी) के बराबर है जो 43,400 अमेरिकी विमान वाहकों को भरने के लिए पर्याप्त है. शोधकर्ताओं ने कहा कि यह अनुमान है कि जिस गति से बर्फ 2000 और 2019 के बीच पिघल गई, वह लंबी अवधि (1900 से) के औसत से तीन गुना अधिक है.