चेन्नई :भारत को एक भू-स्थानिक केंद्र बनाने के लिए एक सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल का पालन किया जा सकता है, जिसके तहत निजी क्षेत्र भारत सरकार के साथ एक आश्वस्त ग्राहक के रूप में पृथ्वी अवलोकन उपग्रह समूह का निर्माण, प्रक्षेपण और रखरखाव कर सकता है और इस परियोजना को वित्त पोषित ( funding) भी कर रहा है. भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र In-space ने यह जानकारी दी.
भारत के पास शानदार अवसर: पृथ्वी अवलोकन उपग्रह वे हैं, जो पृथ्वी के एक निर्दिष्ट हिस्से की तस्वीरें लेते हैं और इसे बुनियादी ढांचे की योजना, स्थायी लक्ष्यों को प्राप्त करने, ई-गवर्नेंस, मौसम की भविष्यवाणी, जलवायु निगरानी, आपदा तैयारी और शमन और अन्य के लिए वापस भेजते हैं. एक परामर्श पत्र में In-space ने कहा : "भारत के पास भू-स्थानिक केंद्र बनने का एक शानदार अवसर है. चूंकि देश के लगभग सभी क्षेत्रों में भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी को मुख्यधारा के रूप में अपनाया जा रहा है, इसलिए बहुत उच्च रिज़ॉल्यूशन डेटा की मांग बढ़ रही है."
10 लाख से अधिक रोजगार: इसमें कहा गया है कि भारत की भू-स्थानिक अर्थव्यवस्था ( Geospatial Economy )12.8 प्रतिशत की दर से बढ़ते हुए 2025 तक 63,000 करोड़ रुपये को पार कर जाएगी और मुख्य रूप से भू-स्थानिक स्टार्टअप के माध्यम से 10 लाख से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करेगी. अंतरिक्ष क्षेत्र में Private Organizations के नियामक In space ने कहा कि डेटा की अतिरिक्त आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी के माध्यम से उपग्रह समूह का निर्माण, प्रक्षेपण और रखरखाव करने का प्रस्ताव है.