हैदराबाद : कहा जाता है कि किसी भी इंसान को सफल बनाने में मां का सबसे बड़ा हाथ होता है. मां बच्चे की पहली गुरु होती है. वह बच्चों को जीवन को ककहरा सिखाती है. उनकी हर सफलता के पीछे मां के जीवन की पूरी तपस्या होती है.
माताएं अपने बच्चों के लिए जो त्याग करती हैं, वह दुनिया में और कोई नहीं कर सकता है. बच्चे को मां से बेहतर कोई नहीं सिखा सकता है. चाहे वह प्यार से बच्चे को कुछ बनने की राह दिखाना हो या गुस्से से सही गतल के बारे में बताना हो, या जीनव में आने वाले कठिनाइयों से रूबरू करवाना हो. भारतीय हॉकी खिलाड़ियों की माताओं ने ईटीवी भारत के साथ कुछ ऐसी ही बातें साझा की हैं.
कैप्टन मनप्रीत सिंह की मां ने साझा किए संघर्ष के पल
हॉकी टीम की कैप्टन मनप्रीत सिंह की माता मनजीत कौर ने कहा कि उनके घर के हालात ऐसे नहीं थे कि वह बेटे को खेल में लगा सकें और उन पर पैसे खर्च कर सकें. उन्होंने कहा कि मनप्रीत के बार-बार जिद करने के बाद हॉकी खेलने जाने की इजाजत दी. खराब हालात के बावजूद उन्होंने हर कदम बेटे का साथ दिया. उनका कहना है कि पहले वह मनप्रीत को हॉकी खेलने से मना करती थीं, लेकिन मनप्रीत को जिद और लगन को देखते हुए हॉकी खेलने की इजाजत दी. आज वही मनप्रीत सिंह भारतीय हॉकी टीम के कप्तान हैं, उन्होंने देश के लिए कांस्य पदक जीता है. मनजीत कौर ने पूरी टीम को बधाई दी और टीम को इसी तरह खेलते रहने का आशीर्वाद भी दिया.
मनदीप सिंह की मां के संघर्ष की कहानी
भारतीय हॉकी टीम में जालंधर के एक और स्टार मनदीप सिंह की मां दविंदरजीत कौर का कहना है कि बेटे को इस मुकाम तक पहुंचाना आसान काम नहीं था, उन्होनें पग पर बेटे का साथ दिया. यही कारण है कि मनदीप सिंह आज हॉकी के स्टार बन गए हैं. और भारतीय हॉकी टीम में खेलते हुए देश को टोक्यो ओलंपिक 2021 में देश के लिए कांस्य पदक जीता है. उन्होंने कहा कि मनदीप को बचपन से ही हॉकी खिलने का शौक था. मनदीप ने हॉकी खेलना कभी नहीं छोड़ा.