दिल्ली

delhi

ETV Bharat / science-and-technology

टोक्यो ओलंपिक : हॉकी खिलाड़ियों को 'भारत का हीरो' बनाने वाली माताओं के संघर्ष की कहानियां

भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने गुरुवार को कांस्य पदक के प्ले-ऑफ मैच में जर्मनी को 5-4 से हराकर 41 साल बाद ओलंपिक में इतिहास रच दिया. इस जीत में अहम भूमिका निभाने वाले हॉकी के कैप्टन मनप्रीत सिंह, वरुण और मनदीप सिंह की माताओं से ईटीवी भारत ने बात की. आइए जानते हैं कि इन खिलाड़ियों को फर्श से अर्श तक पहुंचाने वाली माताओं ने किस तरह किया संघर्ष और आज उनके बेटे कैसे बने 'भारत के हीरो.'

हॉकी
हॉकी

By

Published : Aug 5, 2021, 9:15 PM IST

Updated : Aug 5, 2021, 9:40 PM IST

हैदराबाद : कहा जाता है कि किसी भी इंसान को सफल बनाने में मां का सबसे बड़ा हाथ होता है. मां बच्चे की पहली गुरु होती है. वह बच्चों को जीवन को ककहरा सिखाती है. उनकी हर सफलता के पीछे मां के जीवन की पूरी तपस्या होती है.

माताएं अपने बच्चों के लिए जो त्याग करती हैं, वह दुनिया में और कोई नहीं कर सकता है. बच्चे को मां से बेहतर कोई नहीं सिखा सकता है. चाहे वह प्यार से बच्चे को कुछ बनने की राह दिखाना हो या गुस्से से सही गतल के बारे में बताना हो, या जीनव में आने वाले कठिनाइयों से रूबरू करवाना हो. भारतीय हॉकी खिलाड़ियों की माताओं ने ईटीवी भारत के साथ कुछ ऐसी ही बातें साझा की हैं.

कैप्टन मनप्रीत सिंह की मां ने साझा किए संघर्ष के पल
हॉकी टीम की कैप्टन मनप्रीत सिंह की माता मनजीत कौर ने कहा कि उनके घर के हालात ऐसे नहीं थे कि वह बेटे को खेल में लगा सकें और उन पर पैसे खर्च कर सकें. उन्होंने कहा कि मनप्रीत के बार-बार जिद करने के बाद हॉकी खेलने जाने की इजाजत दी. खराब हालात के बावजूद उन्होंने हर कदम बेटे का साथ दिया. उनका कहना है कि पहले वह मनप्रीत को हॉकी खेलने से मना करती थीं, लेकिन मनप्रीत को जिद और लगन को देखते हुए हॉकी खेलने की इजाजत दी. आज वही मनप्रीत सिंह भारतीय हॉकी टीम के कप्तान हैं, उन्होंने देश के लिए कांस्य पदक जीता है. मनजीत कौर ने पूरी टीम को बधाई दी और टीम को इसी तरह खेलते रहने का आशीर्वाद भी दिया.

मनदीप सिंह की मां के संघर्ष की कहानी
भारतीय हॉकी टीम में जालंधर के एक और स्टार मनदीप सिंह की मां दविंदरजीत कौर का कहना है कि बेटे को इस मुकाम तक पहुंचाना आसान काम नहीं था, उन्होनें पग पर बेटे का साथ दिया. यही कारण है कि मनदीप सिंह आज हॉकी के स्टार बन गए हैं. और भारतीय हॉकी टीम में खेलते हुए देश को टोक्यो ओलंपिक 2021 में देश के लिए कांस्य पदक जीता है. उन्होंने कहा कि मनदीप को बचपन से ही हॉकी खिलने का शौक था. मनदीप ने हॉकी खेलना कभी नहीं छोड़ा.

यह भी पढ़ें- जानें, कौन हैं जीत के हीरो और कैसी रही है हॉकी की विजय गाथा

वरुण की मां ने साझा किए यादगार पल
भारतीय हॉकी टीम में जालंधर के मीठापुर के तीसरे खिलाड़ी वरुण की मां शकुंतला देवी का कहना है कि आज उनका बेटा ओलंपियन बन गया है, जिस पर उन्हें गर्व है. उनके अनुसार, यहां तक का सफर तय करना वरुण के लिए काफी कठिनाइयों भरा रहा है, क्योंकि वह एक सामान्य परिवार से आते थे और उनके पिता एक निजी कार चलाते थे.

उन्होंने कहा कि वरुण को हॉकी खेलने का बचपन से शौक था, वह देश के लिए हॉकी खेलना चाहते थे, लेकिन परिवार के पास इतना पैसा नहीं था कि वे उस पर खर्च कर सकें, लेकिन वरुण के दोस्तों ने इसके लिए मदद की.

वरुण की जीत पर आंखों में आंसू लिए मां ने कहा कि बेटे के इस मुकाम पर पहुंचने के बाद भी वह अपने अतीत को नहीं भूले हैं.

देश को आज कांस्य पदक दिलाने वाले खिलाडियों के पीछे माताओं का बड़ा हाथ है. ईटीवी भारत ऐसे माताओं को सलाम करता है. गौतलब है कि भारत की पुरुष हॉकी टीम ने एक समय 1-3 से पीछे होने के बावजूद शानदार खेल दिखाते हुए 41 साल के अंतराल के बाद ओलंपिक पदक जीतने का गौरव हासिल किया है. भारत ने टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक के लिए हुए रोमांचक मुकाबले में जर्मनी को 5-4 से हराया. भारतीय टीम सेमीफाइनल में बेल्जियम के हाथों हार गई थी. इसके बाद उसे कांस्य जीतने का मौका मिला था.

Last Updated : Aug 5, 2021, 9:40 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details