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Chandrayaan 3 : ISRO ने पांचवीं बार चंद्रयान 3 की कक्षा बढ़ाई, पृथ्वी से दूरी और बढ़ी

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी- ISRO ने पांचवीं बार चंद्रयान-3 की कक्षा बढ़ा दी है. अब ISRO Chandrayaan 3 मिशन का मुख्य उद्देश्य लैंडर को चंद्रमा की धरती पर सुरक्षित उतारना है.

Chandrayaan 3
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी

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Published : Jul 26, 2023, 11:50 AM IST

चेन्नई: चंद्रयान-3 अपने गंतव्य की ओर आगे बढ़ गया है और भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी- ISRO ने पांचवीं बार इसकी कक्षा बढ़ा दी. चंद्रयान-3 'चंद्रमा अंतरिक्ष मार्ग' पर 1 अगस्त को जाएगा, जब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसे ट्रांसलूनर इंजेक्शन- TLI के लिए मार्गदर्शन करेगा. इसरो ने मंगलवार को कहा : "कक्षा-उत्थान पैंतरेबाज़ी (पृथ्वी-बाउंड पेरिजी फायरिंग) को आईएसटीआरएसी/इसरो, बेंगलुरु से सफलतापूर्वक निष्पादित किया गया है. अंतरिक्ष यान के 127609 किमी x 236 किमी की कक्षा प्राप्त करने की उम्मीद है.अवलोकन के बाद प्राप्त कक्षा की पुष्टि की जाएगी."

ISRO ने कहा, "अगली फायरिंग, ट्रांसलूनर इंजेक्शन- TLI की योजना 1 अगस्त, 2023 को मध्यरात्रि 12 बजे से 1 बजे के बीच बनाई गई है." भारत का चंद्रमा की ओर जाने वाला अंतरिक्ष यान चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान को भारत के हेवी लिफ्ट रॉकेट एलवीएम3 द्वारा कॉपीबुक शैली में 15 जुलाई को कक्षा में स्थापित किया गया था. उसी दिन, पहली कक्षा उत्थान किया गया था और दूसरा कक्षा उत्थान 17 जुलाई को किया गया था. इसरो ने कहा कि चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान में एक प्रणोदन मॉड्यूल (वजन 2,148 किलोग्राम), एक लैंडर (1,723.89 किलोग्राम) और एक रोवर (26 किलोग्राम) शामिल है.

Chandrayaan 3 मिशन का मुख्य उद्देश्य लैंडर को चंद्रमा की धरती पर सुरक्षित उतारना है. चंद्र कक्षा में प्रवेश करने के कुछ दिनों बाद लैंडर प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो जाएगा और 23 अगस्त को शाम 5.47 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सॉफ्ट लैंडिंग करने की उम्मीद है. लैंडर चंद्रमा की सतह से लगभग 100 किमी की ऊंचाई से चंद्रमा पर उतरेगा. सॉफ्ट लैंडिंग एक पेचीदा मुद्दा है, क्योंकि इसमें रफ और फाइन ब्रेकिंग सहित जटिल युद्धाभ्यासों की एक श्रृंखला शामिल होती है.सुरक्षित और खतरा-मुक्त क्षेत्र खोजने के लिए लैंडिंग से पहले लैंडिंग साइट क्षेत्र की इमेजिंग की जाएगी.सॉफ्ट लैंडिंग के बाद छह पहियों वाला रोवर बाहर निकलेगा और एक चंद्र दिवस की अवधि के लिए चंद्र सतह पर प्रयोग करेगा जो पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर है.

(आईएएनएस)

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