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कलकत्ता हाई कोर्ट का फैसला: बंगाल में चुनाव बाद हिंसा की जांच करेगी सीबीआई

पैनल ने अपनी रिपोर्ट में ममता बनर्जी सरकार को दोषी ठहराया था और उसने बलात्कार और हत्या जैसे गंभीर अपराधों की जांच सीबीआई को सौंपने की सिफारिश की थी. उसने कहा था कि मामलों की सुनवाई राज्य के बाहर की जानी चाहिए.

बंगाल में चुनाव बाद हिंसा की जांच करेगी सीबीआई
बंगाल में चुनाव बाद हिंसा की जांच करेगी सीबीआई

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Published : Aug 19, 2021, 11:43 AM IST

Updated : Aug 19, 2021, 6:04 PM IST

कोलकाता : पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव 2021 के बाद हुई हिंसा की घटनाओं को लेकर कलकत्ता उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है. कोर्ट ने अपने फैसले में अदालत की निगरानी में CBI जांच का आदेश दिया है. कोर्ट के इस आदेश के बाद राज्य की ममता बनर्जी सरकार को बड़ा झटका लगा है. अपने आदेश में कोर्ट ने एसआईटी टीम के गठन का भी निर्देश दिया और राज्य सरकार को पीड़ितों को मुआवजा देने को कहा.

बता दें, कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हिंसा के मामलों में हत्या और महिलाओं के खिलाफ अपराध, बलात्कार सहित मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों की अदालत की निगरानी में सीबीआई जांच का आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने अन्य सभी मामलों की जांच एसआईटी को सौंपी है.

कोर्ट करेगी SIT की निगरानी

मामले की सुनवाई कर रही बेंच ने बताया कि कोर्ट एसआईटी की निगरानी भी करेगी. मामले की सुनवाई कर रहे कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल ने कहा कि अलग-अलग फैसले हैं, लेकिन सभी सहमत हैं. अदालत के समक्ष कई जनहित याचिकाएं दायर की गई थीं, जिसमें आरोप लगाया गया था कि चुनाव के बाद की हिंसा में लोगों के साथ मारपीट की गई, उन्हें घर से भागने के लिए मजबूर किया गया और उनकी संपत्ति को नष्ट कर दिया गया और इन आरोपों की निष्पक्ष जांच की मांग की गई.

मामले में 3 अगस्त को सुनवाई पूरी हुई थी और हाईकोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया था. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने फैसला सुनाया. जिसमें न्यायमूर्ति आई पी मुखर्जी, हरीश टंडन, सौमेन सेन और सुब्रत तालुकदार शामिल थे. पीठ ने पहले एनएचआरसी अध्यक्ष को "चुनाव के बाद की हिंसा" के दौरान मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों की जांच के लिए एक जांच समिति गठित करने का आदेश दिया था. रिपोर्ट सौपने के बाद अब अगली सुनवायी 24 अक्टूबर को होगी.

ईटीवी भारत से बात करते आतिफ रशीद

अल्पसंख्यक आयोग ने फैसले का स्वागत किया

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष आतिफ रशीद ने गुरुवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है. ईटीवी भारत से बात करते हुए आतिफ रशीद ने कहा कि कलकत्ता उच्च न्यायालय के आज के फैसले ने पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा के पीड़ितों को न्याय की उम्मीद दी है और यह है उन्हें न्याय देने की दिशा में पहला कदम है और उन्हें अभी न्याय मिलना बाकी है.

उन्होंने कहा, 'मैं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) द्वारा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने और तदनुसार रिपोर्ट तैयार करने के लिए गठित समिति का सदस्य था. पश्चिम बंगाल की यात्रा के दौरान हमने पाया कि हिंसक घटनाएं हुई थीं और उस आधार पर हमने रिपोर्ट दी.

बीजेपी प्रभारी ने दिया बयान

भाजपा महासचिव और पश्चिम बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा राज्य सरकार के संरक्षण में हुई. कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश ने सरकार की पोल खोल दी है.

पढ़ें:बंगाल में चुनाव बाद हिंसा, गंभीर अपराधों की सीबीआई से जांच कराने का अनुरोध

सौगत रॉय ने जताई नाखुशी

वहीं, तृणमूल कांग्रेस नेता सौगत रॉय ने कोर्ट के इस फैसले पर नाराजगी जताते हुए कहा कि मैं फैसले से नाखुश हूं. यदि हर कानून और व्यवस्था के मामले में जो पूरी तरह से राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में है, सीबीआई इसमें आती है तो यह राज्य के अधिकार का उल्लंघन है. मुझे यकीन है कि राज्य सरकार स्थिति का न्याय करेगी और यदि आवश्यक हो तो उच्च न्यायालय में अपील करने का निर्णय लेगी.

बीजेपी प्रवक्ता ने दी सफाई

इस मसले पर बीजेपी के प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि इसमें एक विशेष बात ये भी है कि कलकत्ता हाईकोर्ट के पांचों जजों ने एकमत से कहा है कि जिन निर्दोष लोगों ने उत्पीड़न सहा, जिनके परिजनों को मार दिया गया, जिन महिलाओं ने अस्मिता खोई है, उन्हें इंसाफ मिलना चाहिए, ये इंसाफ निष्पक्ष जांच के बाद ही संभव है. उन्होंने कहा कि बंगाल में चुनाव के बाद हिंसा हुई, हत्या को ममता बनर्जी नहीं रोक पाईं, उसके बाद लोगों को इंसाफ दिलाने में भी ममता जी विफल रहीं.

गौरव भाटिया का बयान

प्रेस कॉफ्रेंस को संबोधित करते हुए बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि पश्चिम बंगाल वो प्रदेश बन गया है, जहां वर्दी का इस्तेमाल अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए किया जाता है. उन्होंने कहा कि बंगाल में चुनाव के बाद हिंसा हुई, हत्या को ममता बनर्जी नहीं रोक पाईं, उसके बाद लोगों को इंसाफ दिलाने में भी ममता जी विफल रहीं. पश्चिम बंगाल वो प्रदेश बन गया है, जहां वर्दी का इस्तेमाल अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए किया जाता है.

आज जो फैसला आया है, उसकी तीन अहम बातें हैं.

1- ये फैसला 5 जजों की खंडपीठ ने दिया है.

2- पांचों ने एकमत से कहा है कि सीबीआई जांच की आवश्यकता है.

3- ये जांच कोर्ट की मॉनिटरिंग में होगी.

कोलकाता हाईकोर्ट ने कहा कि CBI जांच करेगी और अभी तक जो भी सबूत इकट्ठे किये गए हैं, वो सब CBI को दे दिए जाएंगे.

एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम और बना दी गई है, जो हत्या और महिलाओं के खिलाफ हुए अपराधों से अलग हिंसा के मामलों की जांच करेगी. सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की देखरेख में ये सब किया जाएगा.

ये है मामला

बता दें, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने पश्चिम बंगाल के कई जिलों में चुनाव के बाद हिंसा के मामले सामने आने के बाद जांच का आदेश दिया था. पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव बाद हिंसा में भाजपा के कुछ कार्यकर्ता मारे गए थे और कई घायल हो गए थे तथा दुकानों में लूटपाट की गयी थी. इसके बाद केंद्र ने राज्य में विपक्षी कार्यकर्ताओं पर हमले की घटनाओं को लेकर सरकार से तथ्यात्मक रिपोर्ट सौंपने को कहा था.

चार लोगों की हुई थी मौत

जानकारी के मुताबिक बर्द्धमान जिले में तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के समर्थकों में कथित झड़प में चार लोगों की मौत हो गयी थी. वहीं, तृणमूल कांग्रेस ने दावा किया था कि मारे गए लोगों में तीन पार्टी के समर्थक थे. वहीं, एनएचआरसी ने कहा था कि पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा में कुछ लोगों की मौत के बारे में अखबारों में प्रकाशित खबरों का उसने संज्ञान लिया है.

आयोग ने कहा कि राजनीतिक कार्यकर्ताओं के बीच कथित तौर पर झड़पें हुई, पार्टी के कार्यालयों में आगजनी की गयी और कई मकानों में तोड़फोड़ के साथ ही लूटपाट की गई. आयोग ने कहा कि ऐसा लगता है कि जिला प्रशासन और कानून लागू करने वाली स्थानीय एजेंसियों ने प्रभावित लोगों के मानवाधिकारों के उल्लंघन को रोकने के लिए कार्रवाई नहीं की.

Last Updated : Aug 19, 2021, 6:04 PM IST

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