कोलकाता : पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव 2021 के बाद हुई हिंसा की घटनाओं को लेकर कलकत्ता उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है. कोर्ट ने अपने फैसले में अदालत की निगरानी में CBI जांच का आदेश दिया है. कोर्ट के इस आदेश के बाद राज्य की ममता बनर्जी सरकार को बड़ा झटका लगा है. अपने आदेश में कोर्ट ने एसआईटी टीम के गठन का भी निर्देश दिया और राज्य सरकार को पीड़ितों को मुआवजा देने को कहा.
बता दें, कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हिंसा के मामलों में हत्या और महिलाओं के खिलाफ अपराध, बलात्कार सहित मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों की अदालत की निगरानी में सीबीआई जांच का आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने अन्य सभी मामलों की जांच एसआईटी को सौंपी है.
कोर्ट करेगी SIT की निगरानी
मामले की सुनवाई कर रही बेंच ने बताया कि कोर्ट एसआईटी की निगरानी भी करेगी. मामले की सुनवाई कर रहे कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल ने कहा कि अलग-अलग फैसले हैं, लेकिन सभी सहमत हैं. अदालत के समक्ष कई जनहित याचिकाएं दायर की गई थीं, जिसमें आरोप लगाया गया था कि चुनाव के बाद की हिंसा में लोगों के साथ मारपीट की गई, उन्हें घर से भागने के लिए मजबूर किया गया और उनकी संपत्ति को नष्ट कर दिया गया और इन आरोपों की निष्पक्ष जांच की मांग की गई.
मामले में 3 अगस्त को सुनवाई पूरी हुई थी और हाईकोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया था. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने फैसला सुनाया. जिसमें न्यायमूर्ति आई पी मुखर्जी, हरीश टंडन, सौमेन सेन और सुब्रत तालुकदार शामिल थे. पीठ ने पहले एनएचआरसी अध्यक्ष को "चुनाव के बाद की हिंसा" के दौरान मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों की जांच के लिए एक जांच समिति गठित करने का आदेश दिया था. रिपोर्ट सौपने के बाद अब अगली सुनवायी 24 अक्टूबर को होगी.
अल्पसंख्यक आयोग ने फैसले का स्वागत किया
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष आतिफ रशीद ने गुरुवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है. ईटीवी भारत से बात करते हुए आतिफ रशीद ने कहा कि कलकत्ता उच्च न्यायालय के आज के फैसले ने पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा के पीड़ितों को न्याय की उम्मीद दी है और यह है उन्हें न्याय देने की दिशा में पहला कदम है और उन्हें अभी न्याय मिलना बाकी है.
उन्होंने कहा, 'मैं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) द्वारा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने और तदनुसार रिपोर्ट तैयार करने के लिए गठित समिति का सदस्य था. पश्चिम बंगाल की यात्रा के दौरान हमने पाया कि हिंसक घटनाएं हुई थीं और उस आधार पर हमने रिपोर्ट दी.
बीजेपी प्रभारी ने दिया बयान
भाजपा महासचिव और पश्चिम बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा राज्य सरकार के संरक्षण में हुई. कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश ने सरकार की पोल खोल दी है.
पढ़ें:बंगाल में चुनाव बाद हिंसा, गंभीर अपराधों की सीबीआई से जांच कराने का अनुरोध
सौगत रॉय ने जताई नाखुशी
वहीं, तृणमूल कांग्रेस नेता सौगत रॉय ने कोर्ट के इस फैसले पर नाराजगी जताते हुए कहा कि मैं फैसले से नाखुश हूं. यदि हर कानून और व्यवस्था के मामले में जो पूरी तरह से राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में है, सीबीआई इसमें आती है तो यह राज्य के अधिकार का उल्लंघन है. मुझे यकीन है कि राज्य सरकार स्थिति का न्याय करेगी और यदि आवश्यक हो तो उच्च न्यायालय में अपील करने का निर्णय लेगी.