हैदराबाद:भारत ने टोक्यो ओलंपिक में एक स्वर्ण सहित सात पदक जीतकर इन खेलों में अब तक का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है. ओलंपिक में भारत के लिए पदक जीतने वाले खिलाड़ियों के प्रदर्शन और कैरियर पर पेश है एक नजर...
- नीरज चोपड़ा: स्वर्ण पदक
भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा ओलंपिक में व्यक्तिगत स्वर्ण जीतने वाले केवल दूसरे भारतीय हैं. नीरज को तीन साल से ओलंपिक में पदक का सबसे बड़ा भारतीय दावेदार माना जा रहा था और शनिवार को उनके 87.58 मीटर के थ्रो के साथ ट्रैक एवं फील्ड स्पर्धा में भारत को पहला ओलंपिक पदक विजेता मिला. दिलचस्प बात यह है कि हरियाणा में पानीपत के पास खांद्रा गांव के एक किसान के बेटे नीरज वजन कम करने के लिए खेलों से जुड़े थे.
यह भी पढ़ें:शाबाश 'नीरज' शाबाश! भाला फेंक के फाइनल मुकाबले में नीरज चोपड़ा ने जीता गोल्ड मेडल
एक दिन उनके चाचा उन्हें गांव से 15 किलोमीटर दूर पानीपत स्थित शिवाजी स्टेडियम लेकर गए. नीरज को दौड़ने में कोई दिलचस्पी नहीं थी और जब उन्होंने स्टेडियम में कुछ खिलाड़ियों को भाला फेंक का अभ्यास करते देखा तो उन्हें इस खेल से प्यार हो गया. उन्होंने इसमें हाथ आजमाने का फैसला किया और अब वह एथलेटिक्स में देश के सबसे बड़े खिलाड़ियों में से एक बन गए हैं.
वह साल 2016 जूनियर विश्व चैंपियनशिप में 86.48 मीटर के अंडर- 20 विश्व रिकॉर्ड के साथ ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीतने के बाद से लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. वह इसी साल (2016) भारतीय सेना में चार राजपूताना राइफल्स में सूबेदार के पद पर नियुक्त हुए थे. उनकी अन्य उपलब्धियों में साल 2018 राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक शामिल हैं. उन्होंने साल 2017 एशियाई चैंपियनशिप में शीर्ष स्थान हासिल किया था.
- मीराबाई चानू: रजत पदक
मणिपुर की छोटे कद की इस खिलाड़ी ने टोक्यो 2020 में प्रतिस्पर्धा के पहले दिन 24 जुलाई को ही पदक तालिका में भारत का नाम अंकित करा दिया था. उन्होंने 49 किग्रा वर्ग में रजत पदक जीतकर भारोत्तोलन में पदक के 21 साल के सूखे को खत्म किया. इस 26 साल की खिलाड़ी ने कुल 202 किग्रा का भार उठाकर रियो ओलंपिक (2016) में मिली निराशा को दूर किया.
यह भी पढ़ें:ओलंपिक मेडलिस्ट मीराबाई चानू के जीवन पर बनेगी फिल्म
इम्फाल से लगभग 20 किमी दूर नोंगपोक काकजिंग गांव की रहने वाली मीराबाई छह भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं. उनका बचपन पास की पहाड़ियों में लकड़ियां काटते और दूसरे के पाउडर के डिब्बे में पास के तालाब से पानी लाते हुए बीता. वह तीरंदाज बनना चाहती थीं, लेकिन मणिपुर की दिग्गज भारोत्तोलक कुंजरानी देवी के बारे में पढ़ने के बाद उन्होंने इस खेल से जुड़ने का फैसला किया.
- रवि दहिया: रजत पदक
हरियाणा के सोनीपत जिले के नाहरी गांव में जन्में रवि ने पुरुषों के 57 किग्रा फ्रीस्टाइल कुश्ती में रजत पदक जीतकर अपनी ताकत और तकनीक का लोहा मनवाया. किसान परिवार में जन्में रवि दहिया दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में प्रशिक्षण लेते हैं. जहां से पहले ही भारत को दो ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार और योगेश्वर दत्त मिल चुके हैं.
यह भी पढ़ें:पहलवान रवि दहिया ने भारत को दिलाया दूसरा Silver Medal
उनके पिता राकेश कुमार ने उन्हें 12 साल की उम्र में छत्रसाल स्टेडियम भेजा था. उनके पिता रोज अपने घर से 60 किमी दूर छत्रसाल स्टेडियम तक दूध और मक्खन लेकर पहुंचते थे. उन्होंने साल 2019 विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीतकर ओलंपिक का टिकट पक्का किया और फिर साल 2020 में दिल्ली में एशियाई चैम्पियनशिप जीती और अलमाटी में इस साल खिताब का बचाव किया.
- पीवी सिंधू: कांस्य
टोक्यो 2020 के लिए सिंधू को पहले से पदक का मजबूत दावेदार माना जा रहा था और उन्होंने कांस्य पदक जीतकर किसी को निराश नहीं किया. इस 26 साल की खिलाड़ी ने इससे पहले साल 2016 रियो ओलंपिक में रजत पदक जीता था. वह ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली देश की पहली महिला और कुल दूसरी खिलाड़ी हैं.