नई दिल्ली/वाराणसी:सायनोबैक्टीरिया (नील हरित शैवाल) लगभग उन सभी पारिस्थितिक तंत्रों के महत्वपूर्ण घटक हैं जहां जीवन की कल्पना की जा सकती है. सरल शब्दों में Cyanobacteria वे जीव हैं जो पृथ्वी के ऑक्सीजनिकरण के लिए जिम्मेदार हैं. एक विशेष सफलता हासिल करते हुए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) के वैज्ञानिकों ने पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा से Cyanobacteria के एक नए जीनस की पहचान कर जानकारी जुटाई है. जॉन कैरोल विश्वविद्यालय (John Carroll University usa) अमेरिका के जाने-माने फाइकोलॉजिस्ट (Phycologist) प्रो. जेफरी आर जोहानसन (Jeffrey R johansson) के सम्मान में इस नए जीनस का नाम जोहानसेनिएला (Johanseniella) रखा गया है जबकि प्रजाति का नाम 'त्रिपुरेंसिस (Tripurensis)' त्रिपुरा राज्य की वजह से दिया गया है, जहां इस शैवाल के नमूने लिये गए थे.
BHU के वनस्पति विज्ञान विभाग (BHU Botany Department) के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन के दौरान यह खोज आधुनिक पॉलीफेसिक ²ष्टिकोण का उपयोग करके की गई है. Cyanobacteria या अन्य जीवों की पहचान करने में पॉलीफैसिक ²ष्टिकोण अन्य ²ष्टिकोणों की तुलना में अधिक सटीकता और विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराने में अहम है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि वैश्विक जलवायु परिवर्तन दुनिया भर में जैव विविधता को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक जैव विविधता की पहचान और संरक्षण के लिए समर्पित प्रयास नहीं किए जाते मानव जाति के समक्ष ऐसी स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है, जहां जीवों के कई प्रकार गुमनामी में ही हमेशा के लिए विलुप्त हो सकते हैं.
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पूर्वोत्तर वैश्विक जैव विविधता Hotspot:Cyanobacteria (नील हरित शैवाल) लगभग उन सभी पारिस्थितिक तंत्रों के महत्वपूर्ण घटक हैं जहां जीवन की कल्पना की जा सकती है. सरल शब्दों में, सायनोबैक्टीरिया वे जीव हैं जो पृथ्वी के ऑक्सीजनिकरण के लिए जिम्मेदार हैं. सायनोबैक्टीरिया और उनके विविध रूपों के बारे में अधिक जानकारी जुटाने के लिए वैश्विक स्तर पर गहन अध्ययन चल रहे हैं. बीएचयू का यह अध्ययन 2020 में त्रिपुरा की मूल निवासी सागरिका पाल (Sagarika Pal) द्वारा शुरू किया गया था, जो काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ प्रशांत सिंह (Dr. Prashant Singh, assistant professor Botany Department) के मार्गदर्शन में PhD कर रही हैं. बीएचयू के मुताबिक भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र वैश्विक जैव विविधता हॉटस्पॉट (Global biodiversity hotspot) के रूप में जाना जाता है और दुर्लभ वनस्पतियों और जीवों के भण्डार के रूप में प्रख्यात है.