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IIT Research हवाई जहाजों के परिचालन को सस्ता बनाने में कर सकती है मदद

रोजाना औसतन 800 मिलियन लीटर से अधिक के अनुमानित ईंधन की मांग के कारण वैश्विक विमानन क्षेत्र लगभग पूरी तरह से पेट्रोलियम आधारित ईंधन पर आश्रित है. IIT के शोधकर्ताओं द्वारा तैयार किया गया पौध-आधारित बायो-जेट ईंधन पारंपरिक पेट्रोलियम ईंधन के लिए एक विकल्प बन सकता है.

IIT Jodhpur Research biomass waste aviation fuel
हवाई ईंधन का विकल्प

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Published : Jul 7, 2023, 4:50 PM IST

नई दिल्ली :आईआईटी के शोधकर्ताओं ने पौध-आधारित बायोमास से बने बायो-जेट-ईंधन बनाने का नया तरीका विकसित किया है. आईआईटी के शोधकर्ताओं ने प्रचुर मात्रा में उपलब्ध लोहा आधारित उत्प्रेरक (एफइ, सिलिका-एल्यूमिना) को विकसित किया है. इसकी सहायता से विभिन्न गैर-खाद्य तेलों और बायोमास वेस्ट का उपयोग करते हुए जेट ईंधन निर्माण प्रक्रिया को लाभदायक बनाने का प्रयास किया गया है. यह दशकों से उपयोग हो रहे महंगे हवाई ईंधन का विकल्प विकसित करने में सहायक होगा. यह सस्ते और स्वच्छ ईंधन का एक घटक है, जो ऊर्जा के क्षेत्र को बदल सकता है.

रोजाना औसतन 800 मिलियन लीटर से अधिक के अनुमानित ईंधन की मांग के कारण वैश्विक विमानन क्षेत्र लगभग पूरी तरह से पेट्रोलियम आधारित ईंधन पर आश्रित है. अन्य ऊर्जा क्षेत्रों जैसे सड़क परिवहन, आवासीय और वाणिज्यिक इमारतों की तुलना में विमानन उद्योग को नवीन ऊर्जा स्रोतों की ओर आसानी से स्थान्तरित नहीं किया जा सकता है. इसलिए आईआईटी जोधपुर के शोधकर्ताओं द्वारा तैयार किया गया पौधा-आधारित बायो-जेट ईंधन पारंपरिक पेट्रोलियम ईंधन के लिए एक प्रतिस्पर्धी विकल्प बन सकता है.यह ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में एक बड़ी भूमिका निभाने की क्षमता रखता है.

इस शोध को रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री, लंदन, द्वारा प्रकाशित सस्टेनेबल एनर्जी एंड फ्यूल्स जर्नल के कवर पेज में प्रकाशित किया गया है. आईआईटी जोधपुर के मुताबिक यह उत्प्रेरक बायो-जेट ईंधन की दिशा में 10 चक्रों तक उत्कृष्ट रूप से पुन: प्रयोग योग्य बना रहता है(और 50 चक्रों तक अच्छा काम करता है). विशेष रूप से अपेक्षाकृत कम दबाव की स्थितियों में इस उत्प्रेरक की उच्च अम्लता और अद्वितीय भौतिकीय गुणों जैसे- विलयन-मुक्त स्थितियों में कम एच 2 दबाव के कारण इसके परिणाम काफी आशाजनक हैं.

IIT Jodhpur सेंटर फॉर बायोएनर्जी
इस कार्य को जैव प्रौद्योगिकी विभाग, डीबीटी पैन-आईआईटी सेंटर फॉर बायोएनर्जी द्वारा सहयोग किया जा रहा है. आईआईटी जोधपुर के रसायन विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ. राकेश के. शर्मा और उनके पीएचडी छात्र भागीरथ सैनी ने यह नया तरीका विकसित किया है. अनुसंधान के महत्व के सम्बन्ध में बोलते हुए आईआईटी जोधपुर के रसायन विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ. राकेश के. शर्मा ने कहा, “हमारे काम के बारे में प्रभावशाली बात यह है कि पृथ्वी पर प्रचुर मात्रा में उपलब्ध पुन: प्रयोग योग्य विषम लौह उत्प्रेरक का हल्की परिस्थितियों में उपयोग करके हमने बायोमास से अभूतपूर्व बायो-जेट ईंधन तैयार किया है. यह प्रक्रिया न केवल बढ़ी हुई दक्षता को दर्शाती है बल्कि एयरलाइन क्षेत्र में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में भी कमी लाती है.“

IIT Jodhpur की रिसर्च का कहना है कि बायो-जेट ईंधन उत्पादन के लिए विकसित किये गए सल्फर-मुक्त और गैर धातु-आधारित उत्प्रेरक के भविष्य की संभावना काफी आशाजनक है. व्यावसायिक स्तर पर इसके उपयोग के लिए इसके उत्पादन को बढ़ाने और विनिर्माण प्रक्रिया को अनुकूलित करने में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है. इस शोध का अगला कदम प्रक्रिया के अनुकूलन पर हो सकता है ताकि तापमान, दबाव, प्रतिक्रिया और समय जैसे कारकों को ध्यान में रखते हुए उत्प्रेरक की गतिविधि, चयनात्मकता, और परिवर्तन क्षमता को बढ़ाया जा सके.

(आईएएनएस)

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