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Auto Expo 2023: क्या इलेक्ट्रिक वाहनों का भारत में है भविष्य? क्या फ्लैक्स फ्यूल देगा पेट्रोल को टक्कर? जानें यहां

ऑटो एक्सपो 2023 में इस बार इलेक्ट्रिक वाहनों का जलवा देखने को मिला. इस बार लगभग सभी कार निर्माताओं ने अपनी इलेक्ट्रिक कारों पेश किया. लेकिन यहां पर सवाल यह उठता है कि इलेक्ट्रिक कारों का भारत में क्या भविष्य है. तो चलिए आज इसी बात पर आपको जानकारी देते हैं.

Maruti Suzuki EVX
मारुति सुजुकी ईवीएक्स इलेक्ट्रिक

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Published : Jan 15, 2023, 5:58 PM IST

नई दिल्ली: ग्रेटर नोएडा में चल रहे ऑटो एक्सपो 2023 में इस साल कार निर्माता कंपनियों और दोपहिया वाहन निर्माता कंपनियों ने इलेक्ट्रिक वाहनों पर ज्यादा जोर दिया है. देशी से साथ-साथ विदेशी वाहन निर्माताओं ने इलेक्ट्रिक वाहनों को इस साल ऑटो एक्सपो में प्रदर्शित किया. इसके साथ ही इस ऑटो एक्सपो में हाइड्रोजन फ्यूल सेल और फ्लैक्स फ्यूल आधारित वाहनों ने भी लोगों को आकर्षित किया. हालांकि ऑटो एक्सपो 2023 लगभग पूरी तरह से इलेक्ट्रिक वाहनों पर ही आधारित रहा.

हुंडई मोटर इंडिया, मारुति सुजुकी, टोयोटा, टाटा मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा, एमजी मोटर, किआ इंडिया आदि कई अन्य कार निर्माताओं ने अपनी इलेक्ट्रिक कारों को ऑटो एक्सपो 2023 में प्रदर्शित किया. वहीं दूसरी ओर टोयोटा और एमजी मोटर ने हाइड्रोजन फ्यूल सेल आधारित अपनी कारें भी प्रदर्शित कीं. मारुति सुजुकी ने एक बड़ा कदम उठाते हुए, अपनी सबसे लोकप्रिय हैचबैक मारुति वैगन-आर के फ्लैक्स फ्यूल वर्जन को प्रदर्शित किया. लेकिन यहां पर सवाल यह उठता है कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहन, हाइड्रोजन फ्यूल सेल वाहन और फ्लैक्स फ्यूल वाहन का क्या भविष्य है? तो चलिए आज हम इसी पर चर्चा करते हैं.

भारतीय बाजार में इलेक्ट्रिक कारें

भारतीय बाजार में पहले से ही कई इलेक्ट्रिक कारें बिक्री पर मौजूद हैं. इनमें जहां कुछ कारें देशी निर्माता कंपनियों की हैं, वहीं कुछ विदेशी निर्माताओं की हैं. जहां एक ओर इलेक्ट्रिक कारें पर्यावरण के लिहाज से काफी सुरक्षित हैं, वहीं दूसरी ओर इन कारों को लेकर लोगों की कुछ चिंताएं भी हैं. कार ग्राहकों की सबसे बड़ी चिंता इलेक्ट्रिक कारों की रेंज को लेकर होती है. इलेक्ट्रिक कारों की रेंज सीमित होती है और इसे एक निश्चित रेंज के बाद चार्ज करना पड़ता है.

टाटा टियागो ईवी ब्लिट्ज

भारत में कुछ इलेक्ट्रिक कारें ऐसी भी हैं, जिनकी रेंज 200-250 किमी प्रति चार्ज होती है और इस रेंज के साथ इन्हें सिर्फ सिटी राइड के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. टाटा मोटर्स की टाटा टियागो ईवी इस समय बाजार में सबसे किफायती इलेक्ट्रिक कारों में से एक है, जिसकी कीमत 8.49 लाख रुपये (एक्स-शोरूम) से शुरू होती है. यह कार एक बार फुल चार्ज होने पर 250 किमी तक की अधिकतम रेंज प्रदान कर सकती है.

क्या लॉन्ग ड्राइव के लिए सही है इलेक्ट्रिक कार

लेकिन क्या हो अगर कोई व्यक्ति इस कार को हाईवे राइड के लिए या लॉन्ग ड्राइव के लिए ले जाना चाहे. अपनी अधिकतम रेंज तक चलते के बाद यह कार बंद हो जाएगी और चार्जिंग के आभाव में आपका सफर परेशानी भरा हो जाएगा. ऐसा इसलिए क्योंकि हाईवे पर अभी तक इलेक्ट्रिक कारों की चार्जिंग के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार नहीं किया गया है. ऑटो एक्सपो 2023 के उद्घाटन समारोह में केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी शिरकत की.

इस दौरान उन्होंने इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण और बिक्री पर जोर दिया. उन्होंने यह भी कहा कि यह देखकर बेहद खुशी हो रही है कि वाहन निर्माता इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण पर जोर दे रहे हैं. लेकिन उन्होंने इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंज इंफ्रस्ट्रक्चर को लेकर कुछ नहीं कहा. बीते दिसंबर माह में नितिन गडकरी ने कहा था कि पूरे भारत में 18 लाख से ज्यादा इलेक्ट्रिक वाहनों का रजिस्ट्रेशन किया जा चुका है. इसके साथ ही दिल्ली, तमिलनाडु समेत देश के कई अन्य राज्यों में 5,151 पब्लिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जा चुके हैं.

लेक्सस एलएफ-जेड कॉन्सेप्ट

पारंपरिक ईंधन फिलिंग स्टेशन बनाम पब्लिक चार्जिंग स्टेशन

लेकिन अगर आंकड़ों से मुकाबले की बात करें तो मौजूदा समय में पारंपरिक ईंधन (पेट्रोल व डीजल) के फिलिंग स्टेशन की संख्या पूरे देश में 64,600 से ज्यादा है. अब इलेक्ट्रिक वाहनों के पब्लिक चार्जिंग स्टेशनों की संख्या देखें तो यह अभी बहुत कम है. एक मध्यम वर्ग के व्यक्ति की बात करें तो उसके लिए कार एक रोजमर्रा के इस्तेमाल की चीज के साथ-साथ स्टेटस सिंबल भी होता है.

ज्यादातर मध्यम वर्ग का व्यक्ति अधिकतम एक ही कार लेते हैं, जिससे वो कई बार लंबी दूरी का भी सफर करते हैं. ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहन उनके लिए कारगर साबित नहीं होगा. इलेक्ट्रिक वाहनों की पकड़ तब मजबूत होगी, जब हाईवे पर भी पेट्रोल फिलिंग स्टेशन की तरह ही पब्लिक चार्जिंग स्टेशनों को स्थापित किया जाएगा. इलेक्ट्रिक वाहनों की दूसरा कमजोर प्वाइंट है इनकी कीमत. टाटा मोटर्स को छोड़ दें तो भारत में बिक रही हर इलेक्ट्रिक कार की कीमत बहुत ज्यादा है.

शून्य उत्सर्जन के लिए केंद्र सरकार की योजना

टाटा मोटर्स की इलेक्ट्रिक कारों को छोड़ दें तो लगभग अन्य किसी वाहन निर्माता की इलेक्ट्रिक कार की कीमत 20 लाख रुपये से कम नहीं है. इसका एक बहुत बड़ा कारण इसके पुर्जे और बैटरी है, जिन्हें विदेशों से आयात किया जाता है. ऐसे में इतनी ज्यादा कीमत पर एक सीमित रेंज वाली कार लेने के बारे में ग्राहक कई बार सोचता है. लेकिन अब केंद्र सरकार ने ईवीएस को अपनाने में तेजी लाने के लिए कम से कम 3.4 बिलियन डॉलर की प्रोत्साहन राशि का ऐलान किया है, क्योंकि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 2070 तक शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है.

लेक्सस एलएफ-30 कॉन्सेप्ट इलेक्ट्रिक

ऐसे में देखा जाए तो कार ग्राहकों द्वारा इलेक्ट्रिक कारों को पूरी तरह से अपनाने में अभी कई वर्षों का समय लगेगा. लेकिन बहुत से लोग पारंपरिक ईंधन को छोड़कर इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर रुख कर रहे हैं. लोग इलेक्ट्रिक कारों को अपनाए, इसके लिए भारत सरकार सहित कुछ राज्य सरकारें भी ग्राहकों को सब्सिडी प्रदान कर रही हैं. केंद्र सरकार मौजूदा समय में फेम-II योजना के तहत सब्सिडी प्रदान कर रही है, जिसमें प्रति किलोवॉट आवर बैटरी के आधार पर 15,000 रुपये की सब्सिडी दी जा रही है.

क्या फ्लैक्स ईंधन भी बनेगा एक बेहतर विकल्प

भारत पेट्रोल और डीजल के आयात को लेकर अरब देशों पर निर्भरता कम करने की भी योजना बना रहा है. केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने फ्लैक्स ईंधन को लेकर बीते 12 दिसंबर को ही कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में व्यापक उतार-चढ़ाव से उत्पन्न समस्याओं से निपटने के लिए देश को फ्लेक्स-ईंधन वाहनों और ई-गतिशीलता को बढ़ावा देने की आवश्यकता है.

उनका कहना था कि हर साल, कच्चे तेल की कीमतों में (व्यापक) उतार-चढ़ाव बहुत सारी समस्याएं पैदा कर रहे हैं. हमें 100 प्रतिशत लचीले ईंधन वाहनों को अपनाने की दिशा में आगे बढ़ने की जरूरत है. इसी के चलते पेट्रोल का एक बेहतर विकल्प फ्लैक्स फ्यूल है, जिसमें पेट्रोल और इथेनॉल का मिश्रण होता है. इस फ्यूल में दोनों का अनुपात निश्चित मात्रा में अलग-अलग होता है. पेट्रोल में इथेनॉल 20 प्रतिशत (ई20), 85 प्रतिशत (ई85) और 100 प्रतिशत (ई100) का मिश्रण होता है.

मारुति सुजुकी वैगन-आर फ्लैक्स फ्यूल

हालांकि अभी भारत में वाहन निर्माताओं ने फ्लैक्स फ्यूल आधारित वाहनों का उत्पादन नहीं किया है, लेकिन इस बार ऑटो एक्सपो 2023 में देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी ने अपनी पहली फ्लैक्स फ्यूल आधारित कार को प्रदर्शित किया. कंपनी ने अपनी लोकप्रिय हैचबैक मारुति सुजुकी वैगन-आर के फ्लैक्स फ्यूल वर्जन को प्रदर्शित किया. कंपनी का कहना है कि यह कार ई20 से ई85 तक किसी भी फ्लैक्स फ्यूल पर चल सकेगी.

क्या है इथेनॉल मिश्रित फ्लैक्स फ्यूल

अब कई लोगों के मन में सवाल उठेगा कि आखिर फ्लैक्स फ्यूल क्या है? दरअसल फ्लैक्स फ्यूल को पेट्रोल और इथेनॉल के मिश्रण से बनाया जाता है. फ्लैक्स फ्यूल कई अनुपात में बनते हैं, जिसमें ई20 (80 प्रतिशत पेट्रोल-20 प्रतिशत इथेनॉल), ई85 (15 प्रतिशत पेट्रोल-85 प्रतिशत इथेनॉल) सबसे ज्यादा इस्तेमाल होते हैं. लेकिन अगला सबसे बड़ा सवाल आता है कि आखिर इथेनॉल बनाया कैसे जाता है?

टाटा हैरियर ईवी

गन्ने का इस्तेमाल कर बनाता है इथेनॉल व मेथनॉल

इथेनॉल और मेथनॉल अधिक टिकाऊ ईंधन हैं जो मकई और गन्ना जैसी खाद्य फसलों से प्राप्त होते हैं. यह ईंधन की समग्र लागत को कम करने में मदद करता है, जबकि साथ ही ईंधन के प्रसंस्करण से कार्बन फुटप्रिंट को कम करता है. फ्लैक्स फ्यूल के इस्तेमाल पर जोर देने का दूसरा कारण यह भी है कि केंद्र सरकार इसकी मदद से गन्ना किसानों की आय में बढ़ोतरी करना चाहती है और साथ ही कार्बन उत्सर्जन को भी कम करना चाहती है. हालांकि फ्लैक्स फ्यूल आधारित वाहन को भारत आने में अभी समय लगेगा.

यह भी पढ़ें:Auto Expo 2023: ऑटो एक्सपो 2023 में इलेक्ट्रिक कारों का रहा बोलबाला, फ्लैक्स फ्यूल व हाइड्रोजन फ्यूल सेल कार्स की भी चर्चा

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