नई दिल्ली: ग्रेटर नोएडा में चल रहे ऑटो एक्सपो 2023 में इस साल कार निर्माता कंपनियों और दोपहिया वाहन निर्माता कंपनियों ने इलेक्ट्रिक वाहनों पर ज्यादा जोर दिया है. देशी से साथ-साथ विदेशी वाहन निर्माताओं ने इलेक्ट्रिक वाहनों को इस साल ऑटो एक्सपो में प्रदर्शित किया. इसके साथ ही इस ऑटो एक्सपो में हाइड्रोजन फ्यूल सेल और फ्लैक्स फ्यूल आधारित वाहनों ने भी लोगों को आकर्षित किया. हालांकि ऑटो एक्सपो 2023 लगभग पूरी तरह से इलेक्ट्रिक वाहनों पर ही आधारित रहा.
हुंडई मोटर इंडिया, मारुति सुजुकी, टोयोटा, टाटा मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा, एमजी मोटर, किआ इंडिया आदि कई अन्य कार निर्माताओं ने अपनी इलेक्ट्रिक कारों को ऑटो एक्सपो 2023 में प्रदर्शित किया. वहीं दूसरी ओर टोयोटा और एमजी मोटर ने हाइड्रोजन फ्यूल सेल आधारित अपनी कारें भी प्रदर्शित कीं. मारुति सुजुकी ने एक बड़ा कदम उठाते हुए, अपनी सबसे लोकप्रिय हैचबैक मारुति वैगन-आर के फ्लैक्स फ्यूल वर्जन को प्रदर्शित किया. लेकिन यहां पर सवाल यह उठता है कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहन, हाइड्रोजन फ्यूल सेल वाहन और फ्लैक्स फ्यूल वाहन का क्या भविष्य है? तो चलिए आज हम इसी पर चर्चा करते हैं.
भारतीय बाजार में इलेक्ट्रिक कारें
भारतीय बाजार में पहले से ही कई इलेक्ट्रिक कारें बिक्री पर मौजूद हैं. इनमें जहां कुछ कारें देशी निर्माता कंपनियों की हैं, वहीं कुछ विदेशी निर्माताओं की हैं. जहां एक ओर इलेक्ट्रिक कारें पर्यावरण के लिहाज से काफी सुरक्षित हैं, वहीं दूसरी ओर इन कारों को लेकर लोगों की कुछ चिंताएं भी हैं. कार ग्राहकों की सबसे बड़ी चिंता इलेक्ट्रिक कारों की रेंज को लेकर होती है. इलेक्ट्रिक कारों की रेंज सीमित होती है और इसे एक निश्चित रेंज के बाद चार्ज करना पड़ता है.
भारत में कुछ इलेक्ट्रिक कारें ऐसी भी हैं, जिनकी रेंज 200-250 किमी प्रति चार्ज होती है और इस रेंज के साथ इन्हें सिर्फ सिटी राइड के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. टाटा मोटर्स की टाटा टियागो ईवी इस समय बाजार में सबसे किफायती इलेक्ट्रिक कारों में से एक है, जिसकी कीमत 8.49 लाख रुपये (एक्स-शोरूम) से शुरू होती है. यह कार एक बार फुल चार्ज होने पर 250 किमी तक की अधिकतम रेंज प्रदान कर सकती है.
क्या लॉन्ग ड्राइव के लिए सही है इलेक्ट्रिक कार
लेकिन क्या हो अगर कोई व्यक्ति इस कार को हाईवे राइड के लिए या लॉन्ग ड्राइव के लिए ले जाना चाहे. अपनी अधिकतम रेंज तक चलते के बाद यह कार बंद हो जाएगी और चार्जिंग के आभाव में आपका सफर परेशानी भरा हो जाएगा. ऐसा इसलिए क्योंकि हाईवे पर अभी तक इलेक्ट्रिक कारों की चार्जिंग के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार नहीं किया गया है. ऑटो एक्सपो 2023 के उद्घाटन समारोह में केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी शिरकत की.
इस दौरान उन्होंने इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण और बिक्री पर जोर दिया. उन्होंने यह भी कहा कि यह देखकर बेहद खुशी हो रही है कि वाहन निर्माता इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण पर जोर दे रहे हैं. लेकिन उन्होंने इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंज इंफ्रस्ट्रक्चर को लेकर कुछ नहीं कहा. बीते दिसंबर माह में नितिन गडकरी ने कहा था कि पूरे भारत में 18 लाख से ज्यादा इलेक्ट्रिक वाहनों का रजिस्ट्रेशन किया जा चुका है. इसके साथ ही दिल्ली, तमिलनाडु समेत देश के कई अन्य राज्यों में 5,151 पब्लिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जा चुके हैं.
पारंपरिक ईंधन फिलिंग स्टेशन बनाम पब्लिक चार्जिंग स्टेशन
लेकिन अगर आंकड़ों से मुकाबले की बात करें तो मौजूदा समय में पारंपरिक ईंधन (पेट्रोल व डीजल) के फिलिंग स्टेशन की संख्या पूरे देश में 64,600 से ज्यादा है. अब इलेक्ट्रिक वाहनों के पब्लिक चार्जिंग स्टेशनों की संख्या देखें तो यह अभी बहुत कम है. एक मध्यम वर्ग के व्यक्ति की बात करें तो उसके लिए कार एक रोजमर्रा के इस्तेमाल की चीज के साथ-साथ स्टेटस सिंबल भी होता है.
ज्यादातर मध्यम वर्ग का व्यक्ति अधिकतम एक ही कार लेते हैं, जिससे वो कई बार लंबी दूरी का भी सफर करते हैं. ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहन उनके लिए कारगर साबित नहीं होगा. इलेक्ट्रिक वाहनों की पकड़ तब मजबूत होगी, जब हाईवे पर भी पेट्रोल फिलिंग स्टेशन की तरह ही पब्लिक चार्जिंग स्टेशनों को स्थापित किया जाएगा. इलेक्ट्रिक वाहनों की दूसरा कमजोर प्वाइंट है इनकी कीमत. टाटा मोटर्स को छोड़ दें तो भारत में बिक रही हर इलेक्ट्रिक कार की कीमत बहुत ज्यादा है.