नई दिल्ली :भारत के पास पृथ्वी की कक्षा में 103 सक्रिय या निष्क्रिय अंतरिक्ष यान और 114 पिंड हैं जिन्हें 'अंतरिक्ष मलबे' के रूप में वर्गीकृत किया गया है और इसने बाह्य क्षेत्र से ऐसे मलबे को कम करने के लिए एक अनुसंधान शुरू किया है. प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने संसद को बताया, 'वर्तमान में, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सक्रिय मलबे (एडीआर) को हटाने के लिए आवश्यक संभावना और प्रौद्योगिकियों का अध्ययन करने के लिए अनुसंधान गतिविधियां शुरू की हैं.'
नासा द्वारा मार्च में जारी 'ऑर्बिटल डेबरिस क्वार्टरली न्यूज' के अनुसार, भारत के पास 103 अंतरिक्ष यान थे, जिनमें सक्रिय और निष्क्रिय उपग्रह शामिल थे और 114 अंतरिक्ष मलबा वस्तुएं थीं, जिनमें पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले रॉकेट पिंड भी शामिल थे. इस तरह देश के कुल 217 अंतरिक्ष पिंड पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं. विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह (स्वतंत्र प्रभार) ने कहा कि अंतरिक्ष मलबे की वस्तुओं की वृद्धि को रोकने के लिए सक्रिय मलबा हटाना (एडीआर) अंतरिक्ष मलबा अनुसंधान समुदाय द्वारा सुझाए गए सक्रिय तरीकों में से एक था.
अंतरिक्ष जागरूकता निदेशालय : उन्होंने कहा, 'एडीआर एक बहुत ही जटिल तकनीक है और इसमें नीति और कानूनी मुद्दे शामिल हैं. भारत सहित कई देशों द्वारा प्रौद्योगिकी प्रदर्शन अध्ययन किए गए हैं. एडीआर को प्रदर्शित करने के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकियों को अंतिम रूप देने के मकसद से विकासात्मक अध्ययन शुरू किए गए हैं.' जितेंद्र सिंह ने कहा कि इसरो ने अंतरिक्ष मलबे से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए अपने मुख्यालय में अंतरिक्ष जागरूकता निदेशालय और प्रबंधन तंत्र भी स्थापित किया है.