स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लंबे भाषण का यदि कोई एकमात्र मकसद था, तो वह कि कोरोना वायरस के प्रभाव के कारण राष्ट्र की मानसिकता में घर कर गई नकारात्मकता को बाहर निकालना. साथ ही लोगों में मानवीय भावना और विकास के लिए फिर से भूख को बहाल करना था. मोदी के भाषण की सबसे जोरदार पंक्ति यह थी कि यदि हम लोगों के पास जूझने के लिए बहुत सारी समस्याएं हैं तो हमलोगों के बीच ऐसे लोग भी हैं जो उनका समाधान कर सकते हैं. मोदी का लालकिला से यह लगातार सातवां भाषण था.
अपनी सरकार के प्रयासों को नकारने की सोच वाले अपने आलोचकों को जवाब देते हुए मोदी ने जोरदार ढंग से उस संकल्प को दोहराया कि भारत को तेजी से बदलकर विकास के रास्ते पर ले जाने के लिए जो कुछ करना होगा वह करेंगे. ऐसा करके मोदी ने दिखाया कि वह आने वाले समय में जो काम आने वाला है उससे वे डरे नहीं हैं और उनके उत्साह में कोई कमी नहीं आई है. मोदी ने वर्ष 2014 में बड़ी जीत हासिल की थी और उनसे उम्मीद लगाए भारत की जनता ने उन्हें वर्ष 2019 में उससे भी भारी जनमत देकर सत्ता सौंपी है.
'भारत में बने और दुनिया के लिए बने'
जब से चीन से उत्पन्न हुई महामारी ने कहर बरपाना शुरू किया है, तब से मोदी का सर्वाधिक ध्यान 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान पर है. मोदी के भाषण में भी इसी पर जोर था. मोदी ने अपने 86 मिनट के भाषण में आधुनिक, शक्तिशाली और आत्मनिर्भर भारत, जिसकी ताकत को सभी गंभीरता से लें, का रोड मैप बताया. 'मेक इन इंडिया, मेक फॉर वर्ल्ड' यानी 'भारत में बने और दुनिया के लिए बने' कहकर भारत के बारे में उन्होंने अपने पहले कही बात को विस्तार भी दिया. इसके बारे में उन्होंने कहा कि इसका अर्थ यह होगा कि भारत हर हाल में आत्मनिर्भर बने और अपने प्रचूर प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल अपने घरेलू उपयोग के साथ वैश्विक बाजार के लिए सामान बनाने के लिए भी करे.
'मेक फॉर द वर्ल्ड' मंत्र के साथ आगे बढ़ना है
यदि यह कोई सोचता है कि ये सारी कोरी बाते हैं काम की नहीं तो प्रधानमंत्री ने उस अभियान का उल्लेख किया जिससे पिछले वित्तीय वर्ष में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में 18 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के बीच भी देश में रिकॉर्ड प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आया. दुनिया की बड़ी कंपनियां भारत की ओर देख रही हैं. प्रधानमंत्री ने 20 लाख करोड़ रुपए के 'आत्म निर्भर भारत' कार्यक्रम के तहत उठाए गए कदमों की सूची भी गिनाई. इसमें कृषि क्षेत्र को पटरी पर लाने और कृषि आधारित उद्योगों के तेजी से विकास के लिए एक लाख करोड़ रुपए भी शामिल हैं. मोदी ने उदार आयात व्यवस्था के विचार को खारिज करने वाले शब्दों की कमी नहीं की. उन्होंने कहा कि सोचें कि आखिर कब तक हम कच्चा माल निर्यात और तैयार माल आयात करते रहेंगे. भारत के पास प्रचूर मात्रा में प्राकृतिक संसाधन है और समय की मांग है कि उसका मूल्य संवर्धन करें. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अब हमें 'मेक इन इंडिया' के साथ 'मेक फॉर द वर्ल्ड' मंत्र के साथ आगे की ओर बढ़ना है.
टूटनी चाहिए जड़ता
उन्होंने मल्टी मोडल कनेक्टिविटी का बुनियादी ढांचा तैयार करने के लिए एक बड़ी योजना का भी खुलासा किया, उन्होंने कहा कि इससे पूरे देश को जोड़ा जाना चाहिए एवं जड़ता टूटनी चाहिए. इस संदर्भ में उन्होंने पूरे भारत के तटीय क्षेत्रों में चार लेन वाले उच्च मार्ग बनाने की योजना की घोषणा की. यह उसी तरह की है जैसी प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में 5 हजार 846 किलोमीटर लंबी स्वर्णिम चतुर्भुज उच्च मार्ग नेटवर्क शुरू किया गया था. अनलॉक के विभिन्न चरणों के तहत भारत में फिर से सामान्य स्थिति बहाल हो रही है, मोदी ने विस्तार से उन बहुत सारे भारतीयों की उस चिंता का समाधान किया कि कोरोना वायरस खत्म होगा, आखिर वे लोग कब तक इसकी उम्मीद कर सकते हैं?