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PM Modi on G20 : जी-20 शिखर बैठक से पहले पीएम मोदी का लेख, किस विषय पर किया फोकस, जानें - Modi speech on Vasudhaiva Kutumbakam

नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने OPED लिखा है. उन्होंने अपने लेख में लिखा कि 'वसुधैव कुटुंबकम' - जिसका अर्थ है 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य - भारत की जी20 अध्यक्षता का विषय है.' भारत की जी-20 की अध्यक्षता के दौरान, यह विचार मानव-केंद्रित प्रगति के आह्वान के रूप में प्रकट हुआ है. पीएम मोदी ने लेख में आगे क्या लिखा, जानने के लिए पढ़ें उनका OPED...

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 7, 2023, 1:48 PM IST

भारत में जी20 से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक लेख लिखा है. उन्होंने लिखा, 'वसुधैव कुटुंबकम'- ये दो शब्द एक गहरे विचार को दर्शाते हैं, जिसका अर्थ है 'दुनिया एक परिवार है.' यह एक सर्वव्यापी दृष्टिकोण है जो हमें सीमाओं, भाषाओं और विचारधाराओं से परे एक सार्वभौमिक परिवार के रूप में प्रगति करने के लिए प्रोत्साहित करता है. जी20 की भारत की अध्यक्षता के दौरान यह मानव-केंद्रित प्रगति का आह्वान बनकर सामने आया है. उन्होंने लिखा, एक पृथ्वी के रूप में, हम मानव जीवन की भलाई के लिए एक साथ आ रहे हैं. एक परिवार के रूप में, हम विकास के प्रयास में एक-दूसरे का सहयोग कर रहे हैं. और हम एक साझा उज्जवल भविष्य की ओर एक साथ बढ़ रहे हैं.

उन्होंने आगे लिखा, "महामारी के बाद की विश्व व्यवस्था में इससे पहले से काफी बदलाव देखे गए हैं. इस बदलाव में तीन अहम परिवर्तन सामने आए. पहला बदलाव, यह अहसास बढ़ा है कि दुनिया का जीडीपी-केंद्रित दृष्टिकोण से हटकर मानव-केंद्रित दृष्टिकोण की ओर बदल रहा है, जो कि जरूरी है." दूसरा, ग्लोबल सप्लाई चेन में विश्व अब सुदृढ़ता और विश्वसनीयता के महत्व को पहचानने लगा है. तीसरा, वैश्विक संस्थानों के सुधार के माध्यम से बहुपक्षवाद को बढ़ावा देने के लिए एक सामूहिक आह्वान सामने है और हमारी जी20 की अध्यक्षता ने इन तीनों बदलावों में उत्प्रेरक की भूमिका निभाई है. दिसंबर 2022 में, जब हमने इंडोनेशिया से जी20 की अध्यक्षता का प्रभार लिया था, तब मैंने लिखा था कि जी20 द्वारा मानसिकता में बदलाव को उत्प्रेरित किया जाना चाहिए. विकासशील देशों, ग्लोबल साउथ और अफ्रीका की हाशिये पर पड़ी आकांक्षाओं को मुख्यधारा में लाने के प्रति इसकी विशेष रूप से आवश्यकता थी."

पीएम मोदी ने लिखा, "वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट, जिसमें 125 देशों की भागीदारी देखी गई, हमारी अध्यक्षता के तहत सबसे महत्वपूर्ण पहलों में से एक थी. ग्लोबल साउथ से उनके अनुभव और विचार जानने का यह एक अहम प्रयास था. इसके अलावा भारत की अध्यक्षता के तहत न केवल अफ्रीकी देशों की अबतक की सबसे बड़ी भागीदारी देखी गई है बल्कि जी20 के एक स्थायी सदस्य के रूप में अफ्रीकी संघ को शामिल करने पर भी जोर दिया गया है." उन्होंने लिखा, "हमारी दुनिया एक-दूसरे से जुड़ी हुई है, जिसका मतलब है कि विभिन्न क्षेत्रों में हमारी चुनौतियां आपस में जुड़ी हुई हैं. यह 2030 एजेंडा का मध्य काल का साल है और कई लोग बड़ी चिंता के साथ कह रहे हैं कि सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) में प्रगति पटरी से उतर रही है. एसडीजी की प्रगति में तेजी लाने के लिए जी20 2023 की कार्य योजना भविष्य की दिशा तय करेगी.

"भारत में प्राचीन काल से प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाकर आगे बढ़ना एक आदर्श रहा है और देश आधुनिक समय में भी ‘क्लाइमेट एक्शन’ में अपना योगदान दे रहा है. ग्लोबल साउथ के कई देश विकास के विभिन्न चरणों में हैं और इस दौरान क्लाइमेट एक्शन यानी जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को रोकने के लिए कार्रवाई का ध्यान रखा जाना चाहिए. क्लाइमेट एक्शन की आकांक्षा के साथ हमें ये भी देखना होगा कि क्लाइमेट फाइनेंस यानी वित्त पोषण और ट्रांसफर ऑफ टेक्नॉलजी यानी प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण का भी ख्याल रखा जाए." एक टिकाऊ और सुदृढ़ ब्लू इकोनॉमी के लिए चेन्नई एचएलपी हमारे महासागरों को स्वस्थ रखने में जुटी है.ग्रीन हाइड्रोजन इनोवेशन सेंटर के साथ, हमारी अध्यक्षता में स्वच्छ एवं ग्रीन हाइड्रोजन से संबंधित एक ग्लोबल इकोसिस्टम तैयार होगा."

"हमें एक रचनात्मक कार्यसंस्कृति पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है. एक टिकाऊ और सुदृढ़ ब्लू इकॉनमी के लिए चेन्नई एचएलपी हमारे महासागरों को स्वस्थ रखने में जुटी है. ग्रीन हाइड्रोजन इनोवेशन सेंटर के साथ, हमारी अध्यक्षता में स्वच्छ एवं ग्रीन हाइड्रोजन से संबंधित एक ग्लोबल इकोसिस्टम तैयार होगा. 2015 में भारत की पहल पर शुरू किए गए अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन का उल्लेख करते हुए मोदी ने लिखा कि 'ग्लोबल बायोफ्यूल्स अलायंस' के माध्यम से भारत दुनिया को 'एनर्जी ट्रांजिशन' के योग्य बनाने में सहयोग करेगा. इससे चक्रीय अर्थव्यवस्था का फायदा ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचेगा."

"क्लाइमेट एक्शन को लोकतांत्रिक स्वरूप देना, इस आंदोलन को गति प्रदान करने का सबसे अच्छा तरीका है. जिस प्रकार लोग अपने स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर रोजमर्रा के निर्णय लेते हैं. उसी प्रकार वे इस धरती की सेहत पर होने वाले असर को ध्यान में रखकर अपनी जीवनशैली तय कर सकते हैं. जैसे योग वैश्विक जन आंदोलन बन गया है, उसी तरह हम पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली (लाइफ) को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं."

"जलवायु परिवर्तन के कारण खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है और बाजरा या श्रीअन्न से इस चुनौती से निपटने और जलवायु-स्मार्ट कृषि को बढ़ावा देने में बड़ी मदद मिल सकती है. अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष में, हमने बाजरा को वैश्विक स्तर पर पहुंचाया है. प्रौद्योगिकी परिवर्तनकारी है, लेकिन इसे समावेशी बनाने की जरूरत है. अतीत में तकनीकी प्रगति का लाभ समाज के सभी वर्गों को समान रूप से नहीं मिला. पिछले कुछ वर्षों में भारत ने दिखाया है कि कैसे प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर असमानताओं को कम किया जा सकता है. मिसाल के तौर पर, दुनिया भर में अरबों लोग जिनके पास बैंकिंग सुविधा नहीं थी, या जिनके पास डिजिटल पहचान नहीं थी, उन्हें डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे (डीपीआई) के माध्यम से वित्तीय रूप से शामिल किया जा सका. डीपीआई का उपयोग करके हमने जो परिणाम प्राप्त किए हैं, उन्हें पूरी दुनिया देख रही है, उसके महत्व को स्वीकार कर रही है. अब, जी-20 के माध्यम से हम विकासशील देशों को डीपीआई अपनाने, तैयार करने और उसका विस्तार करने में मदद करेंगे, ताकि वह समावेशी विकास की ताकत हासिल कर सकें."

"यह कोई संयोग नहीं है कि भारत सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है. हमारे सरल और टिकाऊ समाधानों ने कमजोर और हाशिए पर रहने वाले लोगों को हमारी विकास गाथा का नेतृत्व करने के लिए सशक्त बनाया है. अंतरिक्ष से लेकर खेल, अर्थव्यवस्था से लेकर उद्यमिता तक, भारतीय महिलाओं ने विभिन्न क्षेत्रों में नेतृत्व किया है. आज के वक्त में महिलाओं का विकास, महिला-नेतृत्व वाले विकास में तब्दील हो चुका है. हमारी G20 की अध्यक्षता लैंगिक डिजिटल विभाजन को पाटने, श्रम बल भागीदारी अंतराल को कम करने और नेतृत्व और निर्णय लेने में महिलाओं के लिए एक बड़ी भूमिका को सक्षम करने पर काम कर रही है. भारत के लिए जी-20 की अध्यक्षता केवल एक उच्च स्तरीय कूटनीतिक प्रयास नहीं है बल्कि लोकतंत्र की जननी और विविधता के मॉडल के रूप में देश ने इस अनुभव के दरवाजे दुनिया के लिए खोल दिये हैं. आज किसी काम को बड़े स्तर पर करने की बात आती है तो सहज ही भारत का नाम आ जाता है. जी-20 की अध्यक्षता भी इसका अपवाद नहीं है. यह भारत में एक जन आंदोलन बन गया है."

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"जी-20 की अध्यक्षता का भारत का कार्यकाल खत्म होने तक भारत के 60 शहरों में 200 से अधिक बैठकें आयोजित की जा चुकी होंगी और इस दौरान 125 देशों के लगभग 100,000 प्रतिनिधियों की मेजबानी की जा चुकी होगी. किसी भी देश ने इसकी अध्यक्षता करते हुए कभी भी इतने विशाल और विविध भौगोलिक विस्तार को इस तरह से शामिल नहीं किया, जितना भारत ने किया है. हमारी जी-20 अध्यक्षता विभाजन को पाटने, बाधाओं को दूर करने और सहयोग को गहरा करने का प्रयास करती है. हमारी भावना एक ऐसी दुनिया के निर्माण की है, जहां एकता हर मतभेद से ऊपर हो, जहां साझा लक्ष्य अलगाव की सोच को खत्म कर दे. जी-20 अध्यक्ष के रूप में, हमने वैश्विक पटल को बड़ा बनाने का संकल्प लिया था, जिसमें यह सुनिश्चित किया गया कि हर आवाज सुनी जाए और हर देश अपना योगदान दे. मुझे विश्वास है कि हमने कार्यों और स्पष्ट परिणामों के साथ अपने संकल्प पूरे किए है."

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