यरूशलम :सांसदों एवं कार्यकर्ताओं ने अदालत के इस कदम की सराहना करते हुए इसे एलजीबीटी (लेस्बियन, गे, उभयलिंगी, ट्रांसजेंडर) अधिकारों की जीत करार दिया है. अदालत ने 2020 में आदेश दिया था कि किराए की कोख संबंधी कानून के अंतर्गत अकेली महिला को कानून का लाभ प्रदान किया गया लेकिन समलैंगिक जोड़ों को इसके दायरे से बाहर रखने से असमान रूप से समानता के अधिकार और पितृत्व के अधिकार को नुकसान पहुंचा और यह गैर-कानूनी था.
अदालत ने सरकार को नया कानून बनाने के लिए एक साल का वक्त दिया था. हालांकि संसद समयसीमा के भीतर इस पर अमल करने में नाकाम रही. शीर्ष अदालत ने रविवार को कहा कि एक साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद सरकार ने इस कानून में उपयुक्त संशोधन करने को लेकर कोई कदम नहीं उठाया. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि वह किराए की कोख संबंधी मौजूदा कानून के कारण लगातार होने वाले मानवाधिकार हनन की गंभीर क्षति को बर्दाश्त नहीं कर सकता है.