वाशिंगटन : विश्वबैंक ने चालू वित्त वर्ष (2022-23) के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 7.5 प्रतिशत कर दिया. इसका कारण बढ़ती महंगाई, आपूर्ति व्यवस्था में बाधा और रूस-यूक्रेन युद्ध से वैश्विक स्तर पर तनाव को बताया गया है. यह दूसरी बार है जब विश्वबैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि के अनुमान को संशोधित किया है. इससे पहले, अप्रैल में वृद्धि दर के अनुमान को 8.7 प्रतिशत घटाकर 8 प्रतिशत किया गया था. अब इसे और कम कर 7.5 कर दिया गया है. उल्लेखनीय है कि बीते वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर 8.7 प्रतिशत रही थी.
विश्वबैंक ने वैश्विक आर्थिक संभावना के ताजा अंक में कहा, 'बढ़ती महंगाई, आपूर्ति व्यवस्था में बाधा और रूस-यूक्रेन युद्ध से वैश्विक स्तर पर तनाव जैसी चुनौतियों को देखते हुए वित्त वर्ष 2022-23 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 7.5 प्रतिशत कर दिया गया है. इन कारणों से महामारी के बाद सेवा खपत में जो तेजी देखी जा रही थी, उस पर प्रतिकूल असर पड़ेगा.'
इसमें कहा गया है कि वृद्धि को निजी और सरकारी निवेश से समर्थन मिलेगा. सरकार ने व्यापार परिवेश में सुधार के लिये प्रोत्साहन और सुधारों की घोषणा की है. आर्थिक वृद्धि दर का ताजा अनुमान जनवरी में जताई गई संभावना के मुकाबले 1.2 प्रतिशत कम है. विश्वबैंक के अनुसार अगले वित्त वर्ष 2023-24 में आर्थिक वृद्धि दर और धीमी पड़कर 7.1 प्रतिशत रह जाने का अनुमान है.
ईंधन से लेकर सब्जी समेत लगभग सभी उत्पादों के दाम बढ़ने से थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में रिकॉर्ड 15.08 प्रतिशत पर पहुंच गई. वहीं खुदरा मुद्रास्फीति आठ साल के उच्चस्तर 7.79 प्रतिशत रही. ऊंची महंगाई दर को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.40 प्रतिशत बढ़ाकर 4.40 प्रतिशत कर दिया था। बुधवार को मौद्रिक नीति समीक्षा में इसमें और वृद्धि की संभावना है.