नई दिल्ली : बड़े पैमाने पर सैन्यीकरण और अमेरिकी नेतृत्व वाले राष्ट्रों के यूक्रेन को हथियार दिए जाने के बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (President Vladimir Putin) ने बड़ी घोषणा की है. यूक्रेन के साथ करीब सात माह से जारी युद्ध में मिले झटकों के बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने तीन लाख आरक्षित सैनिकों की आंशिक तैनाती की घोषणा कर दी है. 24 फरवरी को रूसी सेना की ओर से शुरू किए गए ऑपरेशन के करीब सात माह बाद रूस का ये बड़ा कदम माना जा रहा है. इसके जरिए क्रेमलिन ने बड़ा संदेश दिया है.
बुधवार की राष्ट्रीय टीवी पर सात मिनट के संबोधन के बाद से इस युद्ध को हालात और गंभीर हो गए हैं. पुतिन ने टेलीविजन के जरिए देश को संबोधित करते हुए चेतावनी भरे लहजे में पश्चिमी देशों से कहा कि रूस अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगा और 'यह कोरी बयानबाजी' नहीं है. राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं और यह प्रक्रिया तत्काल प्रारंभ हो जाएगी. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से इस तरह की पहली लामबंदी को लेकर गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं.
अपने संबोधन में रूसी राष्ट्रपति ने पश्चिमी देशों पर 'परमाणु ब्लैकमेलिंग' करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, 'जो रूस के संबंध में इस प्रकार के बयान देते हैं मैं उन्हें यह याद दिलाना चाहता हूं कि हमारे देश में भी तबाही के अनेक साधन हैं जो नाटो देशों से अधिक आधुनिक हैं. जब हमारे देश की क्षेत्रीय अखंडता के लिए खतरा पैदा किया जाएगा तो रूस की और अपने लोगों की रक्षा के लिए हम हमारे पास मौजूद सभी साधनों का इस्तेमाल करेंगे.'
यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पहली बार रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु ने स्वीकार किया कि 5,397 रूसी सैनिक मारे जा चुके हैं. पुतिन का ये कदम कई बातों को बाद आया है, जिससे पता चलता है कि युद्ध के हालात और गंभीर होने वाले हैं. पहला पुतिन सर्दियों के ढलने का इंतजार कर रहे थे, जिसमें मास्को को कुछ फायदे मिल सकते हैं. आम तौर पर माना जाता है कि रूसी सैनिक सर्दियों में बेहतर क्षमता के साथ मुकाबला करते हैं. उन्हें प्राकृतिक क्षमता का लाभ मिलता है. ऐसा नेपोलियन फ्रांस और हिटलर के नाजी जर्मनी के अनुभव से पता चलता है. दूसरा