मैड्रिड : यूक्रेन युद्ध के बीच रूस की घेरेबंदी में जुटे नाटो देशों को बड़ी सफलता हाथ लगी है. तुर्की ने स्वीडन और फिनलैंड (Sweden and Finland) के नाटो (NATO) में शामिल होने के विरोध को समाप्त करने के लिए सहमति जता दी है. यह फैसला स्पेन की राजधानी मैड्रिड में आयोजित शीर्ष स्तरीय वार्ता के बाद लिया गया. इससे अब रूस के इन दोनों ही पड़ोसी देशों के नाटो में शामिल होने का रास्ता साफ हो गया है. फिनलैंड, स्वीडन और तुर्की तीनों ही इस बात पर सहमत हो गए हैं कि वे एक-दूसरे की सुरक्षा की रक्षा करेंगे. वहीं, फिनलैंड के राष्ट्रपति सौली नीनिस्टो ने कहा कि तीनों देशों के नेताओं ने बातचीत के बाद एक संयुक्त समझौते पर हस्ताक्षर किए.
इस संबंध में नाटो के सेक्रेटरी जनरल जेन्स स्टोल्टेनबर्ग ने कहा कि तीनों देशों के बीच एक समझौता हो गया है.उन्होंने इसे ऐतिहासिक बताया. बता दें कि, यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद स्वीडन और फिनलैंड जैसे देश गुटनिरपेक्ष स्थिति को छोड़कर नाटो से जुड़ने के लिए मजबूर हो गए हैं. फिनलैंड रूस के साथ एक लंबी सीमा साझा करता है. नाटो संधि के तहत किसी भी सदस्य देश पर हमले को सभी सदस्य देशों के खिलाफ हमला माना जाएगा और पूरे गठबंधन द्वारा हमले का जवाब दिया जाएगा. इससे आने वाले समय में रूस को काफी परेशानियों का सामना भी करना पड़ सकता है.
नाटो में शामिल देश सबकी सहमति से कोई भी काम को आगे बढ़ाता है, इसका मतलब है कि, वह सर्वसम्मति से संचालित होता है. पहले तुर्की फिनलैंड और स्वीडन को नाटो में शामिल नहीं करना चाहता था, वह इसका विरोध कर रहा था. ऐसी स्थिति में तुर्की की सहमति के बगैर ये दोनों देश नाटो के सदस्य नहीं बन सकते थे. तुर्की को लगता था कि, फिनलैंड और स्वीडन जैसे देश कुर्द विद्रोही समूहों को लेकर अपना रूख बदलते रहते हैं, जिन्हें तुर्की अपना दुश्मन और उन्हें आतंकवादी मानता है.
बाइडेन ने कहा- फिनलैंड और स्वीडन को सदस्य बनने के लिए आमंत्रित करते हुए गर्व हो रहा :वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि नाटो गठबंधन को फिनलैंड और स्वीडन को सदस्य बनने के लिए आमंत्रित करते हुए गर्व हो रहा है. उन्होंने कहा कि इस गठबंधन में शामिल होने का उनका निर्णय हमें मजबूत और अधिक सुरक्षित बनाने वाला है. यह हमारी सामूहिक ताकत को बढ़ाने के लिए इस शिखर सम्मेलन के दौरान उठाए जा रहे कदमों को मजबूत करेगा.