तेल अवीव : लगातार सात महीनों से, इजराइल की सड़कें इजराइली झंडों और प्रदर्शनकारियों से भरी हुई हैं. हजारों इजराइली सरकार विरोधी प्रदर्शनों में भाग ले रहे हैं. शनिवार को न्यायिक ओवरहाल बिल के विरोध में तेल अवीव, पश्चिम येरुशलम, बीयरशेवा, हर्जलिया और केफर सबा में लगातार 29वीं रैली आयोजित की गई. जिसमें हजारों लोग शामिल हुए. प्रदर्शनकारी प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार की ओर से लाये गये अत्यधिक विवादास्पद न्यायिक ओवरहाल बिल के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.
बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार इजरायल में कानूनी सुधारों के क्रम में सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों को सीमित करने की योजना बना रही है. जिसे उनके विरोधी लोकतंत्र के लिए खतरे के रूप में देख रहे हैं. इजरायली संसद, या नेसेट, रविवार को विधेयक पर मतदान करेंगे. अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, ज्यादातर प्रदर्शनकारियों का पहले से ही मानना है कि कानून बनने से पहले बिल दूसरी और तीसरी रीडिंग में पास हो जाएगा.
फिर भी प्रदर्शनकारियों को बहुत थोड़ी सी उम्मीद है कि प्रधान मंत्री पर पर्याप्त दबाव पड़ा तो शायद वह अपना मन बदल लें. अल जजीरा से बात करते हुए प्रदर्शनकारियों ने कहा कि यदि इस न्यायिक ओवरहाल बिल का कोई भी हिस्सा पारित हो जाता है, तो यह इजराइल में लोकतंत्र के लिए एक गंभीर झटका होगा.
न्यायिक ओवरहाल बिल में क्या है?
प्रस्तावों में एक विधेयक शामिल है जो संसद में साधारण बहुमत से सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को पलटने की अनुमति देगा, जबकि दूसरा संसद को न्यायाधीशों के चयन में अंतिम अधिकार देगा. सोमवार को, संसद एक अतिरिक्त प्रमुख विधेयक पर मतदान करेगी जो सुप्रीम कोर्ट को 'अनुचितता' के आधार पर सरकारी फैसलों को खारिज करने से रोकेगा. सरकार का कहना है कि अनिर्वाचित न्यायाधीशों की शक्तियों को कम करने के लिए विधेयकों की आवश्यकता है, लेकिन आलोचकों का कहना है कि ये बदलाव सत्ता हथियाने के लिए हैं जो इजराइल को निरंकुशता की ओर धकेल देंगे.
अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदर्शनकारियों का कहना है कि नेतन्याहू पर भ्रष्टाचार के आरोप में कई मुकदमे चल रहे हैं. उनके सहयोगी सरकारी पदों पर अपने साथियों को नियुक्त करना चाहते हैं, कब्जे वाले वेस्ट बैंक पर इजराइल का नियंत्रण बढ़ाना चाहते हैं और अति-रूढ़िवादी लोगों के लिए विवादास्पद छूट लागू करना चाहते हैं. उन्होंने नेतन्याहू पर उनके खिलाफ संभावित निर्णयों को रद्द करने के लिए सुधारों का उपयोग करने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया. नेतन्याहू ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है.
परिवर्तनों को चिंताजनक क्यों माना जाता है?
इजराइल की लोकतांत्रिक संरचनाएं पहले से ही कमजोर हैं, यह देखते हुए कि वहां कोई संविधान नहीं है. इसलिए, सर्वोच्च न्यायालय को नागरिक अधिकारों और कानून के शासन की रक्षा करने वाली संस्था के रूप में देखा जाता है. न्यायपालिका देश में कार्यकारी शक्ति की जांच करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. आलोचकों का कहना है कि इस बिल के बाद से इजरायल में महिलाओं और एलजीबीटीक्यू लोगों के साथ ही इजराइल के फिलिस्तीनी नागरिकों और महिलाओं के खिलाफ अत्याचार बढ़ जायेंगे.