लाहौर : पाकिस्तान की एक अदालत ने पिछले साल श्रीलंका के एक कारखाने के मैनेजर की ईशनिंदा करने के आरोप के बाद भीड़ द्वारा उनकी हत्या (Mob Lynching In Pakistan) में भूमिका निभाने वाले छह लोगों को दोषी ठहराए जाने के बाद मौत की सजा सुनाई है. मौत की सजा पाने वाले छह लोगों को प्रियंता कुमारा दियावदाना की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था. सरकारी वकील के एक बयान के अनुसार, लाहौर में एक उच्च सुरक्षा जेल के अंदर स्थापित आतंकवाद-रोधी अदालत ने इस मामले में छह को मृत्युदंड के अलावा नौ लोगों को उम्रकैद, एक को पांच साल की जेल और 72 को दो साल की सजा सुनाई. सजा पाने वालों में आठ नाबालिग भी शामिल हैं. न्यायाधीश ने हालांकि, नौ किशोर संदिग्धों के बारे में फैसला नहीं सुनाया जिनके खिलाफ सुनवायी अभी पूरी होनी बाकी है. कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के समर्थकों सहित 800 से अधिक लोगों की भीड़ ने प्रांतीय राजधानी लाहौर से लगभग 100 किलोमीटर दूर सियालकोट (Punjab province of Pakistan) में एक कपड़ा कारखाने पर हमला किया था. भीड़ ने कारखाने के 47 वर्षीय महाप्रबंधक प्रियंता कुमारा को ईशनिंदा के आरोप में कथित तौर पर पीट-पीट कर मार डाला था और उसका शव जला दिया था.
मुख्य लोक अभियोजक अब्दुल रऊफ वट्टू ने मीडिया को बताया कि अभियोजन दल ने अपना मामला अदालत में पेश करने और इस फैसले तक पहुंचने के लिए बहुत मेहनत की. हम परिणाम से संतुष्ट हैं. विशेष आतंकवाद-रोधी अदालत की स्थापना हाई प्रोफाइल मामलों में न्याय को गति देने के लिए की गई थी, जो अन्यथा संसाधित होने में वर्षों का समय लगा सकते हैं. मौत की सजा पाए एक व्यक्ति के वकील हाफिज इसरार उल हक ने फैसले को 'अनुचित' कहा. उन्होंने मीडिया से कहा कि यह भीड़ की हिंसा का मामला था और ऐसे मामलों में निश्चित तौर पर किसी व्यक्ति की भूमिका का पता नहीं लगाया जा सकता है.