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श्रीलंका में अंतरिम सरकार पर राष्ट्रपति और निर्दलीय सांसदों के बीच बातचीत बेनतीजा रही

श्रीलंका में आर्थिक संकट के बीच राजनीतिक अस्थिरता भी गहराती जा रही है. पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के अलावा पूरे श्रीलंकाई मंत्रिमंडल ने इस्तीफा दे दिया. 1948 में मिली आजादी के बाद श्रीलंका सबसे खराब आर्थिक हालात का सामना कर रहा है. राजपक्षे का विरोध जारी है. ताजा घटनाक्रम में श्रीलंका के राष्ट्रपति और निर्दलीय सांसदों के बीच बातचीत बेनतीजा रही है. पढ़िए रिपोर्ट.

Lankan President Rajapaksa
श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे

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Published : Apr 11, 2022, 3:34 PM IST

कोलंबो : आर्थिक तंगी और बदहाली से परेशाम आम नागरिक श्रीलंका की सड़कों पर आ गए हैं. श्रीलंका के नागरिक राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के खिलाफ उग्र प्रदर्शन कर रहे हैं. श्रीलंका में आर्थिक संकट से निपटने के लिए सर्वदलीय अंतरिम सरकार बनाने के प्रयास भी विफल होते दिख रहे हैं. श्रीलंका में अंतरिम सरकार गठन के संबंध में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और उनके सत्तारूढ़ श्रीलंका पोडुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) गठबंधन के निर्दलीय सांसदों के साथ हुई बातचीत बेनतीजा रही. बता दें कि श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने 11 पार्टियों के गठबंधन को देश की खराब आर्थिक स्थिति पर चर्चा के लिए आमंत्रित किया था, जिसमें 42 निर्दलीय सांसद हैं.

निर्दलीय समूह के सदस्य वासुदेव नानायकारा ने सोमवार को पत्रकारों से कहा, 'हमने अपने पत्र पर चर्चा की, जिसमें हमारे प्रस्ताव के संबंध में 11 बिंदु थे, बातचीत जारी रहेगी.' उन्होंने और 41 अन्य ने पिछले सप्ताह सत्तारूढ़ गठबंधन से अलग होने की घोषणा की थी, लेकिन विपक्ष में शामिल होने से इनकार कर दिया था. बता दें कि लगातार हो रही आलोचना के बीच राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने सरकार के कदमों का बचाव करते हुए कहा है कि विदेशी मुद्रा संकट के लिए उनकी सरकार जिम्मेदार नहीं है और आर्थिक मंदी का मुख्य कारण वैश्विक महामारी है, जिसके कारण मुख्य तौर पर पर्यटन के जरिए देश में आने वाली विदेश मुद्रा प्रभावित हुई है.

निर्दलीय समूह के एक अन्य सदस्य अनुरा यापा ने राजपक्षे के साथ बैठक से पहले कहा था कि उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना की उपस्थिति में मुख्य विपक्षी नेता साजिथ प्रेमदासा से मुलाकात की थी. यापा ने कहा, 'दोनों पक्षों ने बातचीत की पर इसका कोई नतीजा नहीं निकला.' सरकारी सूत्रों ने बताया कि मंत्रिमंडल के शेष 26 सदस्यों की नियुक्ति में और देरी होगी. पिछले सप्ताह पूरे मंत्रिमंडल ने इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद राजपक्षे ने केवल चार मंत्रियों को नियुक्त किया है. यह कदम ऐसे समय में उठाया गया जब श्रीलंका वर्ष 1948 में ब्रिटेन से आजाद होने के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट से गुजर रहा है.

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इस बीच, श्रीलंका में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग को लेकर चल रहे सरकार विरोधी प्रदर्शन सोमवार को भी जारी रहे. एक प्रदर्शनकारी ने कहा, ' यह नई पीढ़ी है, जो यहां विरोध कर रही है, हम आजादी के बाद से पिछले 74 वर्षों में सभी राजनीतिक गलतियों के लिए जवाबदेही चाहते हैं.' ऐसा कहा जा रहा है कि 13 और 14 अप्रैल को राष्ट्रीय नव वर्ष का जश्न मनाने के लिए लोग राजधानी कोलंबो के बाहरी इलाकों में एकत्रित होंगे.

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देश के कुछ हिस्सों में राजपक्षे के समर्थन में भी लोग एकत्रित हुए. उन्होंने राजपक्षे परिवार से सत्ता में बने रहने की अपील की. एक समर्थक ने तख्ती पर लिखा था, ' हम राष्ट्रपति के आभारी हैं, जिन्होंने वैश्विक महामारी से हमारे जीवन को बचाने के लिए टीके उपलब्ध करावाएं.' गौरतलब है कि श्रीलंका में लोग लंबे समय से बिजली कटौती तथा गैस, भोजन और अन्य बुनियादी सामानों की कमी को लेकर हफ्तों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. राष्ट्रपति और उनके बड़े भाई प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे, राजनीतिक रूप से शक्तिशाली अपने परिवार के सार्वजनिक आक्रोश का केंद्र बनने के बावजूद सत्ता पर काबिज हैं.

(पीटीआई-भाषा)

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