कोलंबो : आर्थिक तंगी और बदहाली से परेशाम आम नागरिक श्रीलंका की सड़कों पर आ गए हैं. श्रीलंका के नागरिक राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के खिलाफ उग्र प्रदर्शन कर रहे हैं. श्रीलंका में आर्थिक संकट से निपटने के लिए सर्वदलीय अंतरिम सरकार बनाने के प्रयास भी विफल होते दिख रहे हैं. श्रीलंका में अंतरिम सरकार गठन के संबंध में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और उनके सत्तारूढ़ श्रीलंका पोडुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) गठबंधन के निर्दलीय सांसदों के साथ हुई बातचीत बेनतीजा रही. बता दें कि श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने 11 पार्टियों के गठबंधन को देश की खराब आर्थिक स्थिति पर चर्चा के लिए आमंत्रित किया था, जिसमें 42 निर्दलीय सांसद हैं.
निर्दलीय समूह के सदस्य वासुदेव नानायकारा ने सोमवार को पत्रकारों से कहा, 'हमने अपने पत्र पर चर्चा की, जिसमें हमारे प्रस्ताव के संबंध में 11 बिंदु थे, बातचीत जारी रहेगी.' उन्होंने और 41 अन्य ने पिछले सप्ताह सत्तारूढ़ गठबंधन से अलग होने की घोषणा की थी, लेकिन विपक्ष में शामिल होने से इनकार कर दिया था. बता दें कि लगातार हो रही आलोचना के बीच राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने सरकार के कदमों का बचाव करते हुए कहा है कि विदेशी मुद्रा संकट के लिए उनकी सरकार जिम्मेदार नहीं है और आर्थिक मंदी का मुख्य कारण वैश्विक महामारी है, जिसके कारण मुख्य तौर पर पर्यटन के जरिए देश में आने वाली विदेश मुद्रा प्रभावित हुई है.
निर्दलीय समूह के एक अन्य सदस्य अनुरा यापा ने राजपक्षे के साथ बैठक से पहले कहा था कि उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना की उपस्थिति में मुख्य विपक्षी नेता साजिथ प्रेमदासा से मुलाकात की थी. यापा ने कहा, 'दोनों पक्षों ने बातचीत की पर इसका कोई नतीजा नहीं निकला.' सरकारी सूत्रों ने बताया कि मंत्रिमंडल के शेष 26 सदस्यों की नियुक्ति में और देरी होगी. पिछले सप्ताह पूरे मंत्रिमंडल ने इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद राजपक्षे ने केवल चार मंत्रियों को नियुक्त किया है. यह कदम ऐसे समय में उठाया गया जब श्रीलंका वर्ष 1948 में ब्रिटेन से आजाद होने के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट से गुजर रहा है.
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