कोलंबो : श्रीलंका ने द्वीप राष्ट्र के दक्षिणी हिस्से में चीन की मदद से रिमोट सैटेलाइट रिसीविंग ग्राउंड स्टेशन के निर्माण से इनकार किया है, जिसकी खबरों से भारत में इसकी सुरक्षा को लेकर चिंताएं पैदा हो गई हैं. श्रीलंकाई मंत्रिमंडल के प्रवक्ता बंडुला गुनावदेर्ना ने मंगलवार को द्वीप के सबसे दक्षिणी सिरे पर डोंड्रा बे के पास रडार बेस स्थापित करने से इनकार किया. मीडिया रिपोर्ट ने संकेत दिया था कि म्यांमार में कोको द्वीप पर एक सैन्य सुविधा के साथ निर्माण की योजना पर भारत में संभावित निगरानी के बारे में चिंता जताई गई थी.
रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी गई थी कि चीन कुडनकुलम और कलपक्कम परमाणु ऊर्जा संयंत्रों, दक्षिण में भारत की रणनीतिक संपत्ति, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की यात्रा करने वाले भारतीय नौसेना के जहाजों की आवाजाही और हिंद महासागर में भारतीय नौसेना की गतिविधियों व डिएगो गार्सिया में अमेरिकी सैन्य गतिविधियों की निगरानी में सक्षम होगा. पत्रकारों द्वारा पूछे जाने पर गुणावर्धने ने कहा, हमें इस तरह की रिपोर्ट के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है.
मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने चीनी एकेडमी ऑफ साइंसेज के तहत एयरोस्पेस सूचना अनुसंधान संस्थान और दक्षिणी श्रीलंका में रूहुना विश्वविद्यालय के बीच एक सहयोगी प्रयास के माध्यम से एक दूरस्थ उपग्रह प्राप्त करने वाला ग्राउंड स्टेशन सिस्टम स्थापित करने का प्रस्ताव दिया था. रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी गई थी कि इसकी रणनीतिक स्थिति को देखते हुए, प्रस्तावित परियोजना का इस्तेमाल भारतीय संपत्तियों की जासूसी करने और संवेदनशील सूचनाओं को इंटरसेप्ट करने और पूरे क्षेत्र में भी किया जा सकता है.
रुहुना विश्वविद्यालय में चीन-श्रीलंका ज्वॉइंट सेंटर फॉर एजुकेशन एंड रिसर्च (सीएसएल-सीईआर) के सह-निदेशक प्रोफेसर दिसना रत्नासेकरा ने जब आईएएनएस से संपर्क किया, तो उन्होंने भी रडार सिस्टम से संबंधित किसी भी परियोजना से इनकार किया. प्रोफेसर रत्नशेखर ने कहा, हमें इस तरह की किसी परियोजना के बारे में जानकारी नहीं है. इसके अलावा विश्वविद्यालय के पास मीडिया रिपोटरें में वर्णित क्षेत्र में कोई संपत्ति नहीं है.