लंदन : यूक्रेन पर हमला करने वाले रूस को पिछले कुछ दिनों में अपनी ही सेना के विद्रोह का सामना करना पड़ा. नाटो देशों को खुली चुनौती देने वाले रूस के पावरफुल राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को अपने ही घर में वास्तविक खतरे का सामना करना पड़ा. जहां रूस की निजी सेना वैगनर के भाड़े के बल ने विद्रोह कर डाला, वहीं पुतिन ने भी मॉस्को की ओर मार्च करने वाले और रास्ते में शहरों पर कब्जा करने वाले वैगनर सेनानियों को 'देशद्रोह' की सजा दिलाने की कसम खाई, लेकिन फिर अचानक समझौता हो गया.
मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि बेलारूस संकट जितनी तेजी से उभरा था, उतनी ही तेजी शांत भी हो गया, लेकिन यह भी कहा जा रहा है कि अब भी बहुत कुछ अनिश्चित बना हुआ है. विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि विद्रोह बिना किसी अंजाम के इतनी जल्दी गायब होने की संभावना नहीं है. आखिर ऐसा कौन सा समझौता हुआ वैगनर बल के प्रमुख येवगेनी प्रिगोझिन और रूस के राष्ट्रपति पुतिन के बीच 24 घंटे में बगावत थम गई. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वैगनर के मुखर बॉस येवगेनी प्रिगोझिन को जाहिरा तौर पर बेदाग बेलारूस भेजा जा रहा है, लेकिन कहीं न कहीं, उन्होंने 'सांड़ को लाल कपड़ा दिखा दिया' है.
पुतिन और प्रिगोझिन में समझौता : वैगनर ग्रुप के प्रमुख प्रिगोझिन ने पुतिन से कुछ शर्तों पर समझौता किया. हालांकि, इस समझौते के लिए बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने मध्यस्थता की. लुकाशेंको की मध्यस्थता में समझौते के तहत प्रिगोझिन रूस छोड़कर पड़ोसी देश बेलारूस जाने पर सहमत हो गए. पुतिन ने प्रिगोझिन को बेलारूस जाने कहा, जिसके बदले वह वैगनर प्रमुख खिलाफ विद्रोह के मामले वापस लेंगे. साथ ही वैगनर के लड़ाकों के खिलाफ कोई कार्रवाई भी नहीं की जाएगी. लेकिन यहां कई चीजें अस्पष्ट रह गई. जैसे कि वैगनर और यूक्रेन युद्ध में प्रिगोझिन की भूमिका का क्या होगी, और क्या उसके सभी लड़ाकों को रूस की सेना के साथ अनुबंधित किया जाएगा. वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि वैगनर के मुखर बॉस के लिए खतरा अभी टला नहीं है.