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नेपाल PM प्रचंड की भारत पर टिप्पणी से नेपाल में हंगामा, विपक्ष ने की इस्तीफे की मांग

नेपाल में विपक्ष ने प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' की इस्तीफे की मांग की है. दरअसल, प्रचंड ने एक कार्यक्रम में बयान दिया है कि नेपाल में बसे एक भारतीय कारोबारी ने उन्हें प्रधानमंत्री बनाने का 'एक बार प्रयास' किया था. विपक्ष ने इस टिप्पणी को लेकर प्रचंड के इस्तीफे की मांग की है.

Nepal PM statement
भारतीय कारोबारी

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Published : Jul 6, 2023, 2:03 PM IST

काठमांडू: नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' की इस टिप्पणी ने नेपाल में हंगामा खड़ा कर दिया है कि यहां बसे एक भारतीय कारोबारी ने उन्हें प्रधानमंत्री बनाने का 'एक बार प्रयास' किया था. विपक्ष ने इस टिप्पणी को लेकर प्रचंड के इस्तीफे की मांग की है. प्रचंड ने यह भी कहा कि नेपाल में परिवहन उद्योग से जुड़े अग्रणी कारोबारी सरदार प्रीतम सिंह ने नेपाल-भारत संबंधों को मजबूत करने में विशेष और ऐतिहासिक भूमिका निभाई है.

प्रचंड ने 'रोड्स टू द वैली: द लीगेसी ऑफ सरदार प्रीतम सिंह इन नेपाल' पुस्तक के विमोचन पर आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए सोमवार को यह टिप्पणी की. उन्होंने कहा, 'उन्होंने (सिंह ने) एक बार मुझे प्रधानमंत्री बनाने के प्रयास किए थे.' प्रधानमंत्री ने कहा, 'वह मुझे प्रधानमंत्री बनाने के लिए कई बार दिल्ली गए और काठमांडू में नेताओं के साथ कई दौर की वार्ता की.' प्रचंड के इस बयान की कई लोगों ने आलोचना की है.

मुख्य विपक्षी दल 'कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल(यूनिफाइड मार्क्सिस्ट-लेनिनिस्ट) (सीपीएन-यूएमएल) ने प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग करते हुए बुधवार को संसद के ऊपरी सदन राष्ट्रीय सभा की कार्यवाही को बाधित कर दिया. कार्यवाही बृहस्पतिवार दोपहर तक के लिए स्थगित कर दी गई. सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा कि वे प्रधानमंत्री से स्पष्टीकरण नहीं, इस्तीफा चाहते हैं. पूर्व प्रधानमंत्री ओली ने प्रचंड के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा, 'उनकी टिप्पणी ने राष्ट्रीय स्वतंत्रता, गरिमा, संविधान और संसद को झटका दिया है.'

इसी तरह, प्रचंड की टिप्पणियों के विरोध में विपक्षी दलों- यूएमएल, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी और राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) द्वारा निचले सदन प्रतिनिधि सभा की कार्यवाही में व्यवधान पैदा किए जाने पर इसे शुक्रवार दोपहर तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया. सीपीएन-यूएमएल और आरपीपी के सदस्यों ने नारे लगाए कि 'नयी दिल्ली द्वारा नियुक्त प्रधानमंत्री को पद पर बने रहने का अधिकार नहीं' है. यूएमएल के सांसद रघुजी पंत ने निचले सदन में कहा, 'प्रधानमंत्री को नैतिक आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए. हमें दिल्ली द्वारा नियुक्त प्रधानमंत्री की आवश्यकता नहीं है.'

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प्रचंड के बयान पर न सिर्फ विपक्ष, बल्कि सत्ताधारी दलों ने भी अपना असंतोष जताया है. 'नेपाली कांग्रेस’ के महासचिव विश्व प्रकाश शर्मा ने बुधवार को सदन की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, 'प्रधानमंत्री की टिप्पणी निंदनीय है. उनकी टिप्पणी अनुचित है.' प्रधानमंत्री प्रचंड ने कहा कि सिंह को लेकर उनके बयान को 'हंगामा खड़ा करने के लिए तोड़-मरोड़कर पेश किया गया.'
(पीटीआई-भाषा)

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