लंदन : कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Former Congress president Rahul Gandhi) ने प्रतिष्ठित क्रैम्ब्रिज विश्वविद्यालय विश्वविद्यालय में अपने भाषण को सुनने की कला पर केंद्रित किया तथाा लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के लिए नई सोच का आह्वान किया है. गांधी ने विश्वविद्यालय में अपने व्याख्यान में दुनिया में लोकतांत्रिक माहौल को बढ़ावा देने के लिए एक ऐसी नई सोच का आह्वान किया जिसे थोपा नहीं जाए. हाल के वर्षों में भारत और अमेरिका जैसे लोकतांत्रिक देशों में विनिर्माण क्षेत्र में गिरावट का उल्लेख करते हुए गांधी ने कहा कि इस बदलाव से बड़े पैमाने पर असमानता और आक्रोश सामने आया है जिस पर तत्काल ध्यान देने और संवाद की जरूरत है.
गांधी 'कैम्ब्रिज जज बिजनेस स्कूल' (कैम्ब्रिज जेबीएस) में विजिटिंग फेलो हैं. उन्होंने विश्वविद्यालय में '21वीं सदी में सुनना सीखना' विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा, 'हम एक ऐसी दुनिया की कल्पना नहीं कर सकते जहां लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं नहीं हों.' उन्होंने कहा, 'इसलिए, हमें इस बारे में नई सोच की जरूरत है कि आप बलपूर्वक माहौल बनाने के बजाय किस तरह लोकतांत्रिक माहौल बनाते है.' उन्होंने कहा कि 'सुनने की कला' बहुत शक्तिशाली होती है. उन्होंने कहा कि दुनिया में लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं का बहुत महत्व है.
व्याख्यान को तीन प्रमुख भागों में विभाजित किया गया था. इसकी शुरुआत 'भारत जोड़ो यात्रा' के जिक्र से हुई थी. गांधी ने लगभग 4,000 किलोमीटर की पैदल यात्रा सितंबर 2022 से जनवरी 2023 तक की थी और यह यात्रा भारत के 12 राज्यों से होकर गुजरी थी. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से विशेष रूप से सोवियत संघ के 1991 के विघटन के बाद से अमेरिका और चीन के 'दो अलग-अलग दृष्टिकोण' पर व्याख्यान का दूसरा भाग केंद्रित रहा.