काठमांडू : पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' सोमवार को तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेंगे. एक दिन पहले ही राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने उन्हें प्रधानमंत्री नियुक्त किया था, जिसके बाद हिमालयी राष्ट्र में चली आ रही लंबी राजनीतिक अनिश्चितता समाप्त हो गई. सीपीएन-माओइस्ट सेंटर के अध्यक्ष प्रचंड (68) ने सदन के 169 सदस्यों के समर्थन से सरकार गठन का दावा पेश किया था, जिसके बाद राष्ट्रपति भंडारी ने रविवार को संविधान के अनुच्छेद 76 (2) के तहत उन्हें प्रधानमंत्री नियुक्त किया.
राष्ट्रपति भंडारी आज दोपहर में शीतल निवास में आयोजित एक आधिकारिक समारोह में पूर्व गुरिल्ला नेता प्रचंड को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाएंगी, जिसके बाद वह प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालेंगे. भारी बहुमत से प्रधानमंत्री नियुक्त होने के बावजूद, प्रचंड को अब संविधान के अनुच्छेद 76 (4) के अनुसार 30 दिन के भीतर निचले सदन में विश्वास मत साबित करना होगा. संवैधानिक वकील मोहन आचार्य ने 'काठमांडू पोस्ट' समाचार पत्र को बताया कि गठबंधन सरकार के प्रधानमंत्री को यह साबित करना होगा कि उन्हें सदन में विश्वास मत हासिल है. अगर वह सदन में विश्वास मत साबित करने में नाकाम रहते हैं तो सरकार गठन की नयी प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. पिछले माह हुए आम चुनावों में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत न मिल पाने के कारण देश में जारी राजनीतिक अनिश्चितता अब समाप्त हो गई है.
राष्ट्रपति ने प्रतिनिधि सभा के ऐसे किसी भी सदस्य को प्रधानमंत्री पद का दावा पेश करने के लिए आमंत्रित किया था, जो संविधान के अनुच्छेद 76(2) में निर्धारित दो या दो से अधिक दलों के समर्थन से बहुमत प्राप्त कर सकता हो. प्रचंड ने राष्ट्रपति द्वारा दी गई समय सीमा समाप्त होने से पहले सरकार बनाने का दावा प्रस्तुत किया था. संविधान के अनुच्छेद 76(2) के तहत गठबंधन सरकार बनाने के लिए राजनीतिक दलों को राष्ट्रपति द्वारा दी गई समय सीमा रविवार शाम को समाप्त होनी थी. सूत्रों ने बताया कि रविवार को प्रचंड सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष के पी शर्मा ओली, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) के अध्यक्ष रवि लामिछाने, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के प्रमुख राजेंद्र लिंगडेन सहित अन्य शीर्ष नेताओं के साथ राष्ट्रपति कार्यालय गये और सरकार बनाने का दावा पेश किया.पूर्व प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली के नेतृत्व वाले सीपीएन-यूएमएल, सीपीएन-एमसी, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) और अन्य छोटे दलों की एक महत्वपूर्ण बैठक यहां हुई, जिसमें सभी दल 'प्रचंड' के नेतृत्व में सरकार बनाने पर सहमत हुए.